मेरे नाम के साथ 'पटेल' क्यों लगा है?
मुझे लगता है कि ऋग्वेद (3.10.3) में वर्णित "तुवि कूर्मि" का अर्थ है महान पराक्रमी, महान कर्मयोगी और अत्यन्त कार्यकुशल। इसी 'कूर्मि' से कुर्मि जाति का संबंध है। खैर, कृष् धातु से कृषक/कृष्ण की उत्पत्ति हुई है। जिसका अर्थ है कर्षण। इसी से कृषि/कृषक से कुटुम्ब/कुटुम्बिन/कुटुम्बिक की और कुटुम्ब से कुर्मि की उत्पत्ति हुई है। जिसका अन्य रूप कुनबी, कन्बी, कुम्बी, कुनवी, कुरमी, कुलमी, कूरम, कूर्म, कुलम्बी, कुणबी व कणवी आदि है। इनमें जो 'कूरम' शब्द है 'कु' अर्थात पृथ्वी और 'रम' अर्थात पति या बल्लभ। अतः कूरम शब्द का अर्थ है भूपति या पृथ्वीपति है जो कि क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है। एक तरह से यह क्षत्रिय कुर्मि से जुड़ा है और 'कूर्म' शब्द भगवान विष्णु के कूर्मावतार से जुड़ा हुआ है।
ये सिंगरौर, उमराव, चंद्राकर, गंगवार, कम्मा, कान्बी, कापू, कटियार, कुलंबी, कुलवाड़ी, कुनबी, कुटुम्बी, नायडू, पटेल, रेड्डी, सचान, वर्मा, चौधरी और वोक्कालिगा आदि कुर्मी जाति के अंतर्गत आते हैं। इसमें भी चननउन-फननउन, जयसवाल-फयसवाल और अथरिया-पथरिया आते हैं। कुर्मि के कुलनाम लगभग तीन सौ के आसपास हैं। संभवतः मेरे नाना क्षत्रिय कुर्मि हैं इसलिए मेरी माँ 'सिंह' लगाती हैं और संभवतः मेरे दादा-परदादा लौहपुरुष या गुजराती पटेलों से प्रभावित रहे होंगे वे सब 'पटेल' लगाते थे इसलिए मेरे पिता पटेल लगाते हैं और इस पितृसत्तात्मक समाज में मेरा भी सरनेम 'पटेल' है। वैसे मेरा मूल नाम 'गोलेन्द्र ज्ञान' है शायद मेरा मूल सरनेम 'ज्ञान' कुर्मियों के कुलनाम में नहीं है और एक मज़ेदार बात यह है कि कृषि की सुंदर तुक ऋषि है। लोग मुझे ऋषि भी कहते हैं।
गोलेन्द्र
[सं. पु.]
१. जिसका लक्ष्य इंद्र के समान हो।
(दरअसल 'गोलेन्द्र' शब्द हिंदी का शब्द नहीं है। यह हंग्रेजी का शब्द है। यह अंग्रेजी के 'गोल (Goal)' और हिंदी के 'इंद्र' शब्द से बना है। इसमें संस्कृत के संज्ञा सूत्र 'अदेङ् गुणः' और विधि सूत्र 'आद्गुणः' का नियम है। अर्थात् इसमें गुण संधि है।)
1.गोलेन्द्र=गोल+इन्द्र;
2.गोलेन्द्र=गोला+इन्द्र।
'इन्द्र' के साथ-साथ 'गोल' और 'गोला' भी हिन्दी के तत्सम(संस्कृत) शब्द हैं।
ये तीनो ही शब्द अनेकार्थक हैं।
'इन्द्र' का अर्थ 'स्वामी' और 'गोल' का अर्थ 'अंतरिक्ष' लेने पर 'गोल+इन्द्र' (गोलेन्द्र)का अर्थ होगा 'अन्तरिक्ष का स्वामी'।
'गोला' का अर्थ 'दुर्गा'( देवी पार्वती)लेने पर 'गोला+इन्द्र' (गोलेन्द्र)का अर्थ होगा 'महादेव शङ्कर'।
नोट : इस अर्थ को 2018 में पालि-भाषा की अध्यापिका (बी.एच.यू. में) को पालि की कक्षा में बताया था। मैं सोच रहा हूँ कि अपने नाम पर शोध करूँ और 20-25 पेज़ लिख दूँ। आपकी नज़र में 'गोलेन्द्र' का क्या अर्थ है। ध्यान रहे कि आपके सार्थक जवाब को लेख में शामिल किया जाएगा।
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उपनाम/उपाधि : 'गोलेंद्र ज्ञान' , 'युवा किसान कवि', 'हिंदी कविता का गोल्डेनबॉय', 'काशी में हिंदी का हीरा', 'आँसू के आशुकवि', 'आर्द्रता की आँच के कवि', 'अग्निधर्मा कवि', 'निराशा में निराकरण के कवि', 'दूसरे धूमिल', 'काव्यानुप्रासाधिराज', 'रूपकराज', 'ऋषि कवि', 'कोरोजयी कवि' एवं 'दिव्यांगसेवी' आदि।