*ज्ञान के उच्च धरातल पर सभी विषय समान* --
```आचार्य योगेन्द्र प्रताप सिंह```
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हिंदी विभाग एवं भाषा केंद्र के
तरफ से ईश्वर शरण पी .जी .कॉलेज ,
प्रयागराज में
इस "गोल्डेन जुबली वर्ष" पर
"मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम" के अंतर्गत
' *प्रयोजनमूलक एवं सृजनात्मक लेखन* '
पर एक विशिष्ट व्याख्यान का
आयोजन किया गया ।
👉इसके मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी विभाग ,इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आचार्य योगेन्द्र प्रताप सिंह सर ने कहा कि, ज्ञान के उच्च धरातल पर विषयों की बाध्यता नहीं होती, वहाँ सभी विषय एक हो जाते हैं,वो चाहे राजनीति ही क्यों न हो?
👉भाषा के बिना मनुष्य जीवन संभव नहीं है।
👉भाषा भी वैसे ही है जैसे हम मनुष्य की जाति।
👉भाषा एक नदी की तरह है |
👉भाषा के भीतर एक नदी बहती रहती है वह कभी धीरे ,कभी तेज गति से चलती है।
👉मनुष्य जब तक रहेगा तब तक भाषा रहेगी ,बदलेगा तो केवल उसका स्वरूप ।
👉जुबान से भाषा का स्वरूप बदलती है |
👉भाषा न मेरे पिता ने बनाया, न माता ने बल्कि भाषा एक समाज की निर्मिति होती है।
👉भाषा मनुष्य की पहचान निर्मित करती है।
👉भाषा के विभिन्न रूप हैं, उसको समझे बिना साहित्य का निर्माण करना असंभव है।
👉भाषा हमें ऊँचाई देती है।
👉भाषा तत्व मीमांसा और ज्ञान मीमांसा को स्पष्ट करती है|
👉उन्होंने कहा, भाषा की ताकत बड़ी बेजोड़ है ,जो कुछ दुनिया में संभव है वह भाषा से ही संभव है।
भाषा मनुष्य का ओढ़ना और दसौना है ।
👉भाषा जन्म लेती है, विकास करती है और मरती है।
इस प्रक्रिया में सब चीजें तभी संभव है ।
जब वह *सृजनात्मक* हो।
👉हम जिस परिवेश में है भाषा के अस्मिता के लिए हमें लड़ना चाहिए ।
👉उन्होंने कहा कि हिंदी से न्याय सात दसको में नहीं हो पाया है।
👉यदि भाषा के *प्रयोजनमूलक* को हम नहीं समझ सकते तो केवल भाषा को नहीं समझ सकते।
👉बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक के बाद की संचार माध्यम एक सूचना तंत्र है।
👉हम रोज भाषा को निर्मित करते हैं।
👉जीवन को सौन्दर्यमय बनाने में भाषा का बहुत बड़ा उपयोग है।भाषा का आविष्कार हमारे भीतर तब हो जाता है ,जब हम किसी को पत्र लिखते है।
👉भाषा में ताकत दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है।
👉भाषा में हम अपने को गढ़ते हैं और भाषा हमें गढ़ती है।
👉उन्होंने कहा कि भाषा में *सत्यम, शिवम् ,सुंदरम का समन्वय* है।
👉इससे मनुष्य की निर्मिति होती है ।
👉अंत में उन्होंने कहा कि संचार माध्यम जैसे गूगल पर कोई भी शब्द को खोजा जाता है, उसका एकत्रित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर होती है ,
यह कि सबसे ज्यादा किस भाषा का चयन किया गया है?
👉अतः आप लोग भी कोई भी शब्द को खोजें तो हिंदी में ही खोजें|
👉इस कार्यक्रम का प्रारूप हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ कृपा किंजलकम सर ने तैयार किया।
👉संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ अमरजीत राम सर ने किया|
👉धन्यवाद भाषा सेल की संयोजिका डॉ रचना सिंह मैम ने किया।
इस अवसर पर डॉ शिवहर्ष सिंह सर ,डॉ मानसिंह सर, डॉ अनुजा सलुजा मैम, डॉ गायत्री सिंह मैम, डॉ अखिलेश त्रिपाठी सर , डॉ अलोक मिश्रा सर, डॉ अखिलेश पाल सर, डॉ कादंबरी मैम , डॉ गायत्री सिंह मैम (हिन्दी विभाग), डॉ रामप्रकाश सिंह सर और अधिक संख्या में हमारी मित्र मंडली मौजूद थे।
👉आप सभी गुरुदेव को सादर प्रणाम🙏🙏🙏 एवं मित्र बंधुओं को आभार💐💐💐
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