Golendra Gyan

Friday, 27 March 2020






काशी पर कविता
रचने के लिए अर्ज़!
पावन पूज्य सरिता
वरुणा अस्सी व गंगा ने दिए तर्ज़!
शोक सत्य भविता
सीवर से जिए मर्ज़!
अनेक अंकुरित हो कथा के खेत में
कुछ ओ पार रेत में...
शाम का सविता व सिता
ज्योतिर्मय चिता में देख
कवि ले रहा है
किताब कॉपी कलम के लिए कर्ज़!
हवि दे रहा है
स्याही का हाशिये के यज्ञकागज़ पर
घाट के सिढ़ियों से दर्द का दर्शन पढ़
घाटवाक् कर रहे फक्कड़ प्रेमी जन
उम्मीद के उम्र से निम्न पूर्वजों के सूत्र-लेख-छंद
कबीर ,रैदास ,तुलसी ,भारतेंदु ,प्रसाद व प्रेमचंद
आदि के प्रासंगिकता के पोखरे में खिले कमल
नव विधाओं के नव जमीन पर दर्ज किए काशी।
      -golendra patel

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