शिक्षक का स्वप्न
{प्रो. प्रभाकर सिंह , हिन्दी विभाग, बीएचयू}
"मेरे लिए शिक्षक होने का स्वप्न है जो विद्यार्थियों को साहसी और संवादी बनाए। प्रतिरोध करने से पहले प्रेम करने का गुर सिखाए। किताब में दर्ज जिंदगी की पहचान करने की समझ तो पैदा करे पर उसके बाहर प्रकृति, कला, संगीत और ज्ञान की तमाम दुनियावी बातों को महसूस करने और समझने का सहूर पैदा कर सके। किसी बड़े मंजिल में पहुंचने की सीख भले ना दे पर मंजिल में आने वाले रास्ते में फैली जिंदगी को जिंदादिली से जी लेने की अदा विकसित करने में सहयोगी बने। विश्वविद्यालय के क्लासरूम और पुस्तकालय में बिखरे ज्ञान को ग्रहण करने की क्षमता को विकसित करने के साथ विश्वविद्यालय के परिसर के स्थापत्य, पेड़, पौधे, चिड़ियों ,दुकानों, आंदोलनधर्मी कोनों, संवादी अड्डों की पहचान करने का हुनर दे पाए जिससे विद्यार्थी शिक्षा और ज्ञान के ईन औजारों से समाज को खूबसूरत और लोकतांत्रिक बनाने के लिए व्यावहारिक रास्ते तलाश सके। एक शिक्षक किसी विद्यार्थी को कक्षा में अव्वल आने का पाठ भले न पढ़ा सके पर उसको कुछ मौलिक रचने की सृजनात्मक और वैचारिक संवेदना जरूर सिखा पाए जिसकी स्मृतियां उसे मुस्कुराने और कभी ना हारने का बहाना दे सकें।"
"बस कुछ ऐसा ही।"
प्रभाकर सिंह
प्रोफेसर ,हिंदी विभाग
काशी हिन्दू विश्व, वाराणसी
{संपादक : गोलेन्द्र पटेल}
नाम : गोलेन्द्र पटेल
{युवा कवि व लेखक : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक}
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ईमेल : corojivi@gmail.com
शुक्रिया
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