Golendra Gyan

Monday, 6 June 2022

अर्जुन और गोलेन्द्र का युद्ध


 
अर्जुन और गोलेन्द्र का युद्ध


यह किंवदती सुना है

कि द्रोणाचार्य के शिष्य को शस्त्र और शास्त्र का

दंभ होता है


उनके एक सौ छह शिष्यों ने

आपस में प्रतिस्पर्धा की

अंत में धनुर्धर विजयी हुए


इस प्रतियोगिता का परिणाम है 

कि कर्ण मारे जा चुके हैं

भीष्म मारे जा चुके हैं

और द्रोणाचार्य भी मारे जा चुके हैं


एक दिन दक्षिण की यात्रा में

कृष्ण से विजेता धनुर्धर ने कहा

कि अब संसार में कोई भी नहीं है

जो मुझे पराजित कर सके


तब कृष्ण इतना हँसे इतना हँसे

कि सप्तसागर की हिलोरें हँसने लगीं

धरती कंपित होने लगी

आकाश गरजने लगा


आख़िर अर्जुन पूछे कि प्रभु

इसमें हँसने की क्या बात है


रथ स्थिर हुआ

समाने महर्षि अगस्त्य मुनि के शिष्य गोलेन्द्र 

महेंद्र पर्वत को शिक्षा दे रहे थे

कि सर्वश्रेष्ठ वही है जो....


कथन सुनते ही

अर्जुन और गोलेन्द्र के बीच बहस हुई

बहस बाहुबल पर पहुंच गई


दोनों के बीच युद्ध हुआ

अर्जुन जितने भी दिव्यास्त्र छोड़ते थे

गोलेन्द्र उसकी दिशा अर्जुन की ओर ही मोड़ देते थे

अर्जुन को दिव्यास्त्र वापस लेना पड़ता था

अंत में अर्जुन ने कृष्ण से कहा 

कि प्रभु आज पहली बार परास्त हुआ मैं

ये कौन हैं?


उत्तर ----- ये गोलेन्द्र हैं

भगवान महर्षि अगस्त्य मुनि के शिष्य।


©गोलेन्द्र पटेल

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