अर्जुन और गोलेन्द्र का युद्ध
यह किंवदती सुना है
कि द्रोणाचार्य के शिष्य को शस्त्र और शास्त्र का
दंभ होता है
उनके एक सौ छह शिष्यों ने
आपस में प्रतिस्पर्धा की
अंत में धनुर्धर विजयी हुए
इस प्रतियोगिता का परिणाम है
कि कर्ण मारे जा चुके हैं
भीष्म मारे जा चुके हैं
और द्रोणाचार्य भी मारे जा चुके हैं
एक दिन दक्षिण की यात्रा में
कृष्ण से विजेता धनुर्धर ने कहा
कि अब संसार में कोई भी नहीं है
जो मुझे पराजित कर सके
तब कृष्ण इतना हँसे इतना हँसे
कि सप्तसागर की हिलोरें हँसने लगीं
धरती कंपित होने लगी
आकाश गरजने लगा
आख़िर अर्जुन पूछे कि प्रभु
इसमें हँसने की क्या बात है
रथ स्थिर हुआ
समाने महर्षि अगस्त्य मुनि के शिष्य गोलेन्द्र
महेंद्र पर्वत को शिक्षा दे रहे थे
कि सर्वश्रेष्ठ वही है जो....
कथन सुनते ही
अर्जुन और गोलेन्द्र के बीच बहस हुई
बहस बाहुबल पर पहुंच गई
दोनों के बीच युद्ध हुआ
अर्जुन जितने भी दिव्यास्त्र छोड़ते थे
गोलेन्द्र उसकी दिशा अर्जुन की ओर ही मोड़ देते थे
अर्जुन को दिव्यास्त्र वापस लेना पड़ता था
अंत में अर्जुन ने कृष्ण से कहा
कि प्रभु आज पहली बार परास्त हुआ मैं
ये कौन हैं?
उत्तर ----- ये गोलेन्द्र हैं
भगवान महर्षि अगस्त्य मुनि के शिष्य।
©गोलेन्द्र पटेल
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