Tuesday, 22 April 2025

पहलगाम (कविता) : गोलेन्द्र पटेल


 पहलगाम


हमें बाँटने, काँटने, लड़ाने की कोशिशें जारी हैं 


बेहद दुखद है

इस वक्त भाषा से भूगोल तक 

चीख़ और चुप्पी के बीच 

आँसू की ऊँची अनुगूँज है—

“जाति नहीं, धर्म पूछकर गोली मारी” 

इस वाक्य का ट्रेंडिंग में होना 

साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का घड़ियाली आँसू रोना है 


स्याह संवेदना की साहसी कलम कैदी है 

बंदूक और बारूद के बीच कुर्सी मस्त है 

क्योंकि झूठ के आगे सत्य पस्त है

हम मासूम बेगुनाहों की दर्दनाक मौत से संत्रस्त हैं

हमारा मन आहत है, तन नहीं 

इस आतंकी हमले ने देश को स्तब्ध कर दिया है 

जनतंत्र का तंत्र निःशब्द है, लेकिन जन नहीं 


यह आतंकवादी हमला क्रूर, बर्बर, नृशंस, भयानक 

और हृदयविदारक है 

हम इस घटना से दुखी और हैरान हैं

हम इस कुकृत्य, हत्यकांड की कड़ी भर्त्सना करते हैं

हम सरकार की निंदा करते हैं 

क्योंकि हत्या हर हालत में निंदनीय है

हम संवेदनशील इंसान हैं 

हमें पता है कि जहाँ कुशासन है 

वहाँ हिंसा, हत्या, पलायन, अराजकता फैली हुई है

और बहुत सघन अँधेरा है 

हम असुरक्षित हैं 

क्योंकि हमें भूख, भय और भूतों ने चारों ओर से घेरा है 


हमसे पूछ रहा है संविधान,

“अमृत महोत्सव के मौसम में जाति, धर्म, भाषा, भूगोल निरपेक्ष कौन है?”

पूछ रहा है जहान,

“क्या पहलगाम आतंकी हमला 

अपने राजनीतिक फलितार्थ में 

पुलवामा का अगला संस्करण है?”


न्याय की गुहार लगतीं मृतात्माएँ कहती हैं 

कि हत्यारे ही नहीं, 

बल्कि उनके रक्षक भी मानवता के दुश्मन हैं

हमारी पीड़ा के प्रगीत शोक वचन हैं


हम निर्दोष पीड़ितों के परिवारजनों के दुःख में शामिल हैं

हम टूटे हुए निराश सिपाही हैं

हम मानवीय वेदना की गवाही हैं!


(©गोलेन्द्र पटेल /23-04-2025)

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

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Monday, 7 April 2025

क्या मायावती और चंद्रशेखर आजाद अंबेडकरवादी हैं?

जो बौद्ध नहीं हैं, वो अंबेडकरवादी नहीं हैं। 

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हम नगीना सांसद मा० श्री चंद्रशेखर आजाद जी को ही नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री, आयरन लेडी मा० सुश्री बहन मायावती जी को भी अंबेडकरवादी नहीं मानते हैं, क्योंकि ये दोनों हिंदू हैं पूरी तरह बौद्ध नहीं! क्या बहन जी ने कभी किसी सार्वजनिक मंच से विश्वरत्न बोधिसत्व बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की 22 प्रतिज्ञाओं का वचन किया है? क्या बहन जी ने कभी कहा है कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, उनमें कोई आस्था नहीं रखूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करती हूँ।... क्या किसी सार्वजनिक मंच से बहन जी ने मान्यवर कांशीराम जी की प्रतिज्ञाओं का वाचन किया है?....बहन जी आदरणीय नेता हैं अनुकरणीय नहीं। यही बात चंद्रशेखर आजाद जी पर भी लागू होती है, क्या चंद्रशेखर आजाद जी ने बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर की ये बातें किसी सार्वजनिक मंच से कहे हैं कि “तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मन्दिर नहीं है, बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा व्यवसायी बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है। तीर्थयात्रा, व्रत, पूजा-पाठ व कर्मकांडों में कीमती समय बर्बाद मत करो। धर्मग्रन्थों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मन्दिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नहीं होगी। तुम्हारे गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नहीं दिलायेगी। काल्पनिक देवी-देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी भुखमरी दरिद्रता व गुलामी दूर नहीं होगी। अपने पुरखों की तरह तुम भी चिथडे मत लपेटो, दडबे जैसे घरों में मत रहो और इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर जान मत गँवाओं। भाग्य व ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद ही करना है। धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं और जो धर्म तुम्हें इन्सान नहीं समझता, वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है। जहाँ ऊँच-नीच की व्यवस्था है। वह धर्म नहीं, गुलाम बनाये रखने की साजिश है।” क्या आपने इस पर कभी विचार किया? आख़िर जो मीडिया मान्यवर कांशीराम जी को नहीं दिखाती थी, वो चंद्रशेखर आजाद जी को क्यों ख़ूब दिखा रही है?


निःसंदेह जो बौद्ध नहीं हैं, वो अंबेडकरवादी नहीं हैं। हमारी नज़र में कोई हिन्दू अंबेडकरवादी नहीं हो सकता है, क्योंकि बाबा साहब अंबेडकर हिन्दू काल्पनिक देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ थे!

—गोलेन्द्र ज्ञान 

क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?👉विस्तृत जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें :-

https://golendragyan.blogspot.com/2025/04/blog-post.html

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

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Wednesday, 2 April 2025

क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?

शीर्षक : क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?

यह सवाल ख़ुद से है कि कहीं हमने बुद्ध, धम्म, संघ के शरण में जाने में जल्दबाज़ी तो नहीं की न? क्योंकि, बौद्ध धर्म अपनाने के संदर्भ में मार्गदाता पुरखे याद आ रहे हैं!

बाबा साहब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया और उनको महापरिनिर्वाण 6 दिसंबर, 1956 को प्राप्त हुआ। यानी, बाबा साहब ने लगभग 64-65 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाया।

पेरियार ललई सिंह यादव ने 1967 में लगभग 56 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाया और उनको परिनिर्वाण 07 फरवरी 1993 को प्राप्त हुआ।

सन 2002 में, मान्यवर कांशीराम जी ने 14 अक्टूबर 2006 को डॉक्टर अम्बेडकर के धर्म परिवर्तन की 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर बौद्ध धर्म ग्रहण करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी, लेकिन उनको परिनिर्वाण 9 अक्टूबर 2006 को प्राप्त हुआ। यानी कांशीराम लगभग 72 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाना चाहते थे।

यह पुरखों से तुलना नहीं, बल्कि उनसे संवाद की प्रक्रिया में ख़ुद से पूछा गया सवाल है कि कहीं हमने बुद्ध, धम्म, संघ के शरण में जाने में जल्दबाज़ी तो नहीं की न?

पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री बहन मायावती जी ने बौद्ध धर्म कब अपनाया? (बहन जी का जन्म भी हिंदू परिवार में हुआ है!)

उभरते हुए बहुजन नेता, युवाओं के चहेते नगीना सांसद मा० चंद्रशेखर आजाद जी ने इंटरव्यू एवं पॉडकास्ट में कहा है कि वे एक रविदसिया हिन्दू हैं!

अंत में एक और सवाल, क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं? बुद्ध-अंबेडकर बहुजन राजनीति के केंद्र में ही नहीं, बल्कि जातंकवादियों की राजनीति के केंद्र में भी हैं।

—गोलेन्द्र ज्ञान 

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

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युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन :- 1. “तुम्हें कोई मोटिवेशनल कोटेशन कब तक प्रेरित करेगा, तु...