Tuesday, 24 June 2025

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन :-

1. “तुम्हें कोई मोटिवेशनल कोटेशन कब तक प्रेरित करेगा, तुम ख़ुद ख़ुद का स्थायी प्रेरणा बनो!”

2. “संघर्ष शत-प्रतिशत समर्पण माँगता है।”

3. “सफलता के पीछे दुनिया भागती है, पर सफलता सार्थकता के पीछे भागती है, इसलिए सफल होने से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है सार्थक होना।”

4. “असफलताएं जितना ज़्यादा निराश करती हैं, उतना ज़्यादा निखारती हैं।”

5. “व्यक्तित्व में सामंजस्य या समन्वय का नहीं, समानता का भाव होना चाहिये।”

6. “अनुभव अद्वितीय आचार्य है, अर्थात् अनुभव सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।”

7. “अन्वेषण और अनुसंधान  के लिए आत्मविश्वास आवश्यक है और आत्मविश्वास के लिए आत्मज्ञान और आत्मज्ञान के लिए आत्मालोचन और आत्मालोचन के लिए अंतर्दृष्टि।”

8. “सपने तभी सच होते हैं, जब वे प्रेरणास्रोत बन जाते हैं।”

9. “साहस अटूट विश्वास का नाम है।”

10. “अपने चित्त को किसी का शिष्य बनाने से अच्छा है कि आप अपनी चेतना का चेला बनें, क्योंकि चेतना वह चिराग़ हो, जो कभी नहीं बुझती।”

11. “परिस्थितियाँ चाहें कितनी विपरीत क्यों न हों, प्रज्ञात्मक अनुभूति कभी साथ नहीं छोड़ती।”

12. “बिना दृढ़ संकल्प, बिना मेहनत, बिना संघर्ष की सफलता अस्थायी होती है।”

13. “नींद मृत्यु ही नहीं, पुनर्जीवन की जननी भी है!”

14. “जीतने के लिए ज़िद्दी होना ज़रूरी है।”

15. “सकारात्मक सोच सफलता की कुंजी है।”

16. “अच्छी ज़िन्दगी के लिए किताबें पूरा साथ चाहती हैं।”

17. “वाणी में विनम्रता धैर्यवान होने की कसौटी है।”

18. “धैर्य लक्ष्य के पथ का पथिक है।”

19. “सपने तभी बड़े होते हैं, जब सोच बड़ी होती है।”

20. “कर्म से ही इंसान का स्टेटस है।”

21. “दूसरों से बेहतर बनने से अच्छा है कि हर दिन ख़ुद से बेहतर बनें।”

22. “शिक्षा इसलिए ग्रहण करो कि दुनिया तुम्हें ग्रहण करें।”

23. “दुनिया दोस्ती और दुख से बहुत छोटी है।”

24. “मानव योनि में जन्म लेने से कोई मनुष्य नहीं होता है, मनुष्य होने के लिए भीतर की मानवता को जगाना ज़रूरी है।”

25. “प्रकाश के तीन स्रोत हैं अग्नि, चेतना और शब्द और इन तीनों का स्रोत है जीवन, इसलिए जीवन को पढ़ें।”

26. “जान है, तो ज्ञान है, इसलिए सेहत को शिक्षा से कम न समझें।”

27. “कविता आत्मा की औषधि है।”

28. “आस्था और तर्क एकसाथ नहीं रह सकते। यदि कोई आस्थावादी कहता है कि वह तर्कवादी है, तो वह तुम्हें नहीं, ख़ुद को बेवकूफ़ बना रहा है।”

29. “प्रगतिशील होने की पहली शर्त है व्यवहार में जाति संस्कार से मुक्त होना।”

30. “साहित्य पढ़ने से हमारी चेतना का विकास ही नहीं होता, बल्कि हम थोड़े और मनुष्य भी होते हैं।”

31. “चेतना का विकास दुनिया के हर विकास से महान है।”

32. “चेतना चिरंजीवी चिराग़ है।”

33. “साहित्य जनसेवा की सीख देता है।”

34. “इंसानियत से बड़ा कोई ईश्वर नहीं है।”

35. “दूसरों की मदद करना, बेहतर इंसान होना है।”

36. “प्रेम उदात्तावस्था में भक्ति है।”

37. “भाषा दुःख को सँभाल लेती है।”

38. “सहजता संतोन्मुखी है, इसलिए सहज होना आसान नहीं है।”

39. “सत्य बोलने वाले आसानी से झूठ नहीं बोलते हैं।”

40. “फल हो या चरित्र, दाग लगने पर दाम घट जाता है।”

41. “महापुरुषों के पुजारी नहीं, पाठक बनें।”

42. “स्टार नहीं, चाँद-सूरज बनिये, क्योंकि स्टार सिर्फ़ दिशा बताते हैं, राह के काँटें, साँप, बिच्छू, गोजर नहीं।”

43. “सफलता की ओर जाने वाली सड़क उबड़-खाबड़ होती है।”

44. “नींद से लड़े बिना नयी ज़िन्दगी नहीं मिलती।”

45. “कामयाबी सच्ची ख़ुशी नहीं है, लेकिन इसे पाना हर कोई चाहता है, क्योंकि यह एक ख़ूबसूरत पल है।”

46. “यथाशीघ्र लक्ष्य तभी प्राप्त होता है, जब आप निरंतर चलते हैं।”

47. “बड़े सपने, बड़ा संघर्ष चाहते हैं।”

48. “भविष्य में लग्जरियस लाइफ के लिए लाइब्रेरी जाना चाहिये।”

49. “लाइब्रेरी में बैठा व्यक्ति पूरी दुनिया का चक्कर लगता है।”

50. “लाइब्रेरी में शांति बनाये रखने वाले दुनिया में शांति कायम करते हैं।”

51. “जुनून इंसान को जुगनू नहीं, सूर्य बनाता है।”

52. “हर किसी में एक प्रतिभा है, बस उसे पहचानने की ज़रूरत है।”

53. “प्रतिभा को छिपाना नहीं, प्रकाशित करना चाहिये।”

54. “जिज्ञासा नई खोज की जननी है।”

55. “उत्सुकता की हद से गुज़रे बिना कुछ नया नहीं किया जा सकता।”

56. “फ़ेल होना, असफल होना नहीं, बल्कि कुछ बेहतर करना है।”

57. “फेलियर का अनुभव किसी आचार्य से कम नहीं है, इसलिए उसे सच्चे मन से सुनें।”

58. “हर यात्रा हमें समृद्ध करती है।”

59. “उल्टा-सीधा स्टूपिड सा प्रश्न पूछना, नयी खोज का पहला चरण है।”

60. “एक किताब के बाद एक किताब ही शक्ति है, किताबें बिना पैरों की लंबी दूरी तय करती हैं, किताबों की आब से दुनिया में रोशनी है, किताबें हमें सफल और सार्थक बनाती हैं।”

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com

Friday, 20 June 2025

संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन || गोलेन्द्र पटेल

 “संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन।”—गोलेन्द्र पटेल 

_____________________________________________

आज विश्व योग दिवस और विश्व संगीत दिवस है। संगीत योग की उच्चावस्था का नाम है। संगीत, एक कलात्मक अभिव्यक्ति है जो ध्वनि, लय और माधुर्य के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करती है। संगीत, योग, संभोग और सेक्स का आपस में घनिष्ठ संबंध है, क्योंकि इनका संबंध जीवन से है।

ओशो ने कहा है कि प्रेम का कोई शास्त्र नहीं है, न कोई परिभाषा है, न प्रेम का कोई सिद्धांत है।

योग, संभोग और सेक्स शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए किया जाता है।

योगश्चित्त्वृत्ति निरोधः। योग अनिवार्य रूप से एक अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने पर केंद्रित है। यह स्वस्थ जीवन जीने की एक कला और विज्ञान है। 'योग' शब्द संस्कृत मूल 'युज' धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'जुड़ना' या 'जोड़ना' या 'एकजुट होना'

 जुड़ना एक ऐसी विद्या से जिससे की मनुष्य जीवन का सर्वांगीण विकास हो तथा वह ब्रह्म विद्या की प्राप्ति या समाधि की प्राप्ति के लिए अग्रसित हो सकें । योग जीवन जीने की पद्धति है, दूसरे शब्दों में, शरीर, मन व आत्मा तीनों की शुद्धि व नियंत्रण योग है।

महर्षि पतंजलि को "योग के जनक" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने योग सूत्र की रचना की थी, जिसमें योग के विभिन्न पहलुओं को व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया है। यह ग्रंथ योग को "चित्त वृत्ति निरोध" (मन की चंचलता को नियंत्रित करना) के रूप में परिभाषित करता है और योग के आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि) का वर्णन करता है, जिसे अष्टांग योग कहा जाता है।

संभोग योग साधना है, संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन। संभोग स्वाभाविक है, लेकिन इसे संयम और आत्म-नियंत्रण के साथ जोड़ा गया है। यह सहमति, प्रेम, प्यार, स्नेह, भावनात्मक संवेगों और शारीरिक-मानसिक संतुष्टि पर ख़ूब ज़ोर देता है, इसका संबंध जीवन के व्यापक लक्ष्यों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष से है!

https://youtu.be/Kke4W75LGcA?si=bbPmV0SuZMKsBZev

हमें दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करने से पहले महर्षि वात्स्यायन (Maharishi Vatsyayana) के 'काम सूत्र (Kama Sutra)' ही नहीं, बल्कि ओशो की ‘संभोग से समाधि की ओर’ पुस्तक पढ़ लेनी चाहिए! चार्वाक दर्शन को जान लेना चाहिए!

चार्वाक दर्शन जीवन का भोगवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें सुख, आनंद और इंद्रिय तृप्ति को महत्व दिया जाता है।

हमें ‘विश्व की यौन संहिता’ को उलट-पुलट कर देख लेना चाहिए! हमें अंतर्यात्राओं के दौरान खजुराहो, कोणार्क, एलोरा, अजंता एवं राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी को भी देख लेना चाहिए! हमें जयदेव, विद्यापति, घनानंद के पदों को गुनगुना लेना चाहिए! हमें जानना चाहिये कि श्रीमद्भागवत गीता में संभोग को इच्छा (काम) के रूप में क्यों देखा गया है! 

बहरहाल, संभोग एक प्राकृतिक और सामान्य मानव अनुभव है, जो आनंद, अंतरंगता, और प्रजनन जैसे विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करता है। 

मैंने (गोलेन्द्र पटेल) ‘संसर्ग से सद्गति की ओर’ में लिखा है, “सेक्स और संभोग में अंतर है। सेक्स में भावना का महत्त्व नहीं होता है, लेकिन संभोग में भावना का ख़ूब महत्त्व होता है, क्योंकि संभोग का संबंध मन से है और सेक्स का संबंध तन से। संभोग वात्सल्योन्मुखी है जबकि सेक्स वासनोन्मुखी है, संभोग में करुणा सक्रिय होती है जबकि सेक्स में क्रूरता सक्रिय होती है, संभोग में सहमति-असहमति का ख़्याल रखा जाता है जबकि सेक्स में सहमति-असहमति का कोई ख़्याल नहीं रखा जाता है, संभोग में प्रेम पथप्रदर्शक है जबकि सेक्स में पीड़ा पथप्रदर्शक है!”

भारतीय कामसूत्र की योग संभोग पोजिशन (bhaarateey Sambhog Positions Of Kamasutra) :

1.हलासन (Halasana Or Plow Pose)

2.उत्तानासन (Uttanasana)

3.अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

4.त्रिपद अधोमुख श्वानासन (Tri Pada Adho Mukha Svanasana)

5.सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)

6.बालासन (Balasana)

7=भुजंगासन (Bhujangasana) एवं अन्य।


पाश्चात्य कामसूत्र की योग सेक्स पोजिशन (Paashchaaty Sex Positions Of Kamasutra) : 

1. बिल्ली मुद्रा (मार्जरी आसन) 

2. गाय मुद्रा (बिटिलासन) 

3. ब्रिज पोज़ (सेतु बंध सर्वांगासन) · 

4. हैप्पी बेबी (आनंद बालासन) 

5. एक पैर वाला एवं अन्य।

शेष बातें और कभी!

आपको विश्व योग दिवस और विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें!

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन :- 1. “तुम्हें कोई मोटिवेशनल कोटेशन कब तक प्रेरित करेगा, तु...