Golendra Gyan

Monday, 2 January 2023

काव्यगुरु : सुनीता | गोलेन्द्र पटेल

 



काव्यगुरु

दुनिया कुछ भी कहे
चुपचाप सुन लूँगी
मैं रेगिस्तान में राह चुन लूँगी
क्योंकि सफ़र में
विराट व्यक्तित्व के धनी
प्रिय पथप्रदर्शक व ऋषि कवि
गोलेन्द्र की कविता है मेरे संग
सागर
उठने दो मन में उमंग!

हे शब्दों के सुरेंद्र!
जन-ज़मीन-जंगल-जल ही नहीं
धरती-आकाश और संपूर्ण प्रकृति
साक्षी है कि
मेरे साहित्यिक गुरु हैं गोलेन्द्र!

वे उम्र में छोटे हैं लेकिन भाषा में बड़े
वे संवेदना की सरहद पर खड़े
कलम के सिपाही हैं
नव रव के राही हैं
वे अक्सर जिन गुरुओं की चर्चा करते हैं
उनमें प्रमुख श्रीप्रकाश शुक्ल और सदानंद शाही हैं
उनकी रचनाएँ
इस बात की गवाही हैं

बहरहाल, वे मेरे भाई हैं
काव्यानुप्रासाधिराज हैं, रूपकराज हैं
किसान कवि हैं...
समय, समाज और साहित्य के साज़ हैं
मेरे काव्यगुरु हैं
नये राग के रवि हैं

वे कहते हैं कि 'मैं तुम से सीखता हूँ
तुम मुझसे
हमें एक दूसरे से सीखना चाहिए
सीखना क्रिया
कला को परिष्कृत करती है'
और वे कहते हैं
कि 'सृजन में आदर सूचक शब्द
बाधक होते हैं
किसी भी सर्जक के नाम के साथ
जी जोड़ना व्यर्थ है'
और वे कहते हैं
कि 'शिष्य को गुरु का भक्त होना चाहिए
उनकी रचनाओं का नहीं।'

वे निराशा में निराकरण के रचनाकार हैं
उनका मुझ पर उपकार है
वे स्वप्न व संघर्ष के सर्जक हैं
उनके पास गज़ब की सृजनात्मकता शक्ति है
यह नव वर्ष पर सहज मेरी अभिव्यक्ति है

यह वर्ष प्रिय कवि के लिए
सुख, शांति, समृद्धि, आरोग्य
और रचनात्मकता का वाहक बने
यही ईश्वर से प्रार्थना है
हार्दिक शुभकामनाएँ!
               
-सुनीता
रचना : 01-01-2023




1 comment:

  1. सुंदर शब्दों के साथ सुंदर अभिव्यक्ति

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