Golendra Gyan

Sunday, 28 April 2024

शिशु और शब्द (दो कविताएं)

प्रकृति-प्रेमी कवि गोलेन्द्र पटेल की दो कविताएँ

(डॉ० उदय प्रताप पाल भैय्या के सुपुत्र प्रिय अहिंसक जी के साथ खेलते हुए गोलेन्द्र पटेल)


1).

 हम बच्चे के साथ खेल रहे हैं

_____________________________________________


हम अनुभव से बुजुर्ग हैं 

पर, अभिव्यक्ति से जवान 


बच्चों के साथ खेलना 

खिलना ही नहीं, 

बल्कि बचपन की स्मृतियों से मिलना भी है

और कुछ खुलना भी!


शिशु के साथ खेलने में जो मज़ा है 

वह शब्दों के साथ खेलने में नहीं


हम बच्चे के साथ खेल रहे हैं 

हम बच्चे को खेला रहे हैं


हमारे खेल में हार-जीत नहीं है

सिर्फ़ पत्थर में प्राण फूँकने वाली स्मित मुस्कान है

जो बुद्ध की प्रतिमा में है

या फिर उन महापुरुषों की मूर्तियों में 

जो मानवीय मशाल हैं

बच्चे बुढ़ापे की

ढाल हैं

जैसे शब्द बुरे समय में!

***


2).

शिशु ही तो शब्द हैं!

_____________________________________________


पिता जब लेते हैं कंधे पर

पहाड़ के उस पार की धरती, आसमान, सागर दिखता है 


अभी तक मैंने सिर्फ़ और सिर्फ़ शिशु और शब्द से प्रेम किया है

क्योंकि यही दोनों सुखकर्ता और दुखहर्ता हैं


मैंने जब भी किसी शिशु को गोद लिया है 

मैंने महसूस किया है 

कि मैंने अपने समय का सबसे ताकतवर शब्द उठाया है 

वैसे ही जैसे माँ उठाती है शिशु को... 


जहाँ भाषा में निश्छल प्रेम 

पिता के मौन प्रगीत हैं

वहाँ वात्सल्यभूमि और भाव के बीच 

धूल से तर शिशु शब्द ही तो हैं!


शिशु लोरी की लय समझते हैं, शब्द नहीं!


शिशु और बूढ़े दोनों ही शब्दों के करीब हैं

बूढ़े बचपन की स्मृतियों के सहारे नये स्वप्न देखते हैं 

और शिशु ममता के सहारे वायु को उलट देते हैं— युवा!


बिहड़ में नंगे पाँव दौड़ने वाले बच्चे 

पक्की सड़कों पर 

कंकड़, कंक्रीट, गिट्टी से नहीं घबराते हैं 

ऐसे ही बच्चे गरीबी के गड्ढे लाँघ जाते हैं 

बहरहाल, बच्चों के साथ बच्चा होने में जो सुकून मिलता है

वह सुकून और कहीं नहीं मिलता?


मैं अपने भीतर के बच्चे को ज़िंदा रखा हूँ

मुझमें अनगढ़ता, अल्हड़ता और बचपना कूट-कूटकर भरा है 

मगर मुझमें अक्खड़ता, फक्कड़ता और घुमक्कड़ता भी ख़ूब हैं!


मैं प्रकृति-प्रेमी की गोद में शिशु होना चाहता हूँ

मुझे कविता को माँ और कहानी को नानी कहना अच्छा लगता है 

मैं माँ की गोद में हूँ पिता!


(©गोलेन्द्र पटेल / 28-04-2024)


संपर्क सूत्र :-

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com

Thursday, 25 April 2024

बौद्ध महाविहार खजूरगाँव

 

"भारतीय दार्शनिक, सुधारक, सामाजिक वैज्ञानिक, बौद्ध धर्म के संस्थापक एवं प्रवर्तक गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) लगभग 533ई.पू. से 528 ई.पू. के बीच आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन खजूरगाँव (प्राचीन नाम: शेरपुर) से होकर सारनाथ (प्राचीन नाम: मृगदाव, मृगदाय वन) पहुँचे, जहाँ उन्होंने वप्पा, भादिया, महानामा, कौण्डिण्य तथा अस्सागी इन पाँचों को सर्वप्रथम धर्मोपदेश दिया, जिसे बौद्ध इतिहास में धम्मचक्र प्रवर्तन कहते हैं, पाली भाषा में इसे ‘धम्मचक्क पबत्तन’कहा जाता है। महानामा, कौदन्ना, भद्दिया, वप्पा और अश्वजिता यही पाँचों ने बुद्ध का साथ तब छोड़ा था, जब बुद्ध ने आत्महिंसा वाली तपस्या पद्धति (तपस्चर्या) छोड़ी थी। खैर, महात्मा बुद्ध के दस प्रमुख शिष्यों में सारिपुत्र, मौद्गल्यायन, महाकाश्यप, सुभूति, पूर्ण मैत्रायणी-पुत्र, कात्यायन, अनुरुद्ध, उपालि, राहुल व आनन्द का नाम लिया जाता है और उनकी प्रमुख शिष्याएं हैं महाप्रजापति, यशोधरा, रानी खेमा, आम्रपाली आदि। उनके प्रमुख प्रचारक हैं, बिंबिसार, अजातशत्रु, प्रसेनजित, जीवक, अनाथपिडक, अंगुलिमाल, मिलिंद (यूनानी सम्राट), सम्राट अशोक, कुषाण राजा कनिष्क, ह्वेन त्सांग, फा श्येन, ई जिंग, हे चो, बोधिसत्व आदि। मौर्यकाल तक आते-आते भारत से निकलकर बौद्ध धर्म चीन, जापान, कोरिया, मंगोलिया, बर्मा, थाईलैंड, हिंद चीन, श्रीलंका आदि में फैल चुका था। इन देशों में बौद्ध धर्म बहुसंख्यक धर्म है। फिलहाल विश्व में लाओस, कम्बोडिया, भूटान, थाईलैण्ड, म्यानमार और श्रीलंका ये छह देश "अधिकृत" 'बौद्ध देश' है, क्योंकि इन देशों के संविधानों में बौद्ध धम्म को 'राजधर्म' या 'राष्ट्रधर्म' का दर्जा प्राप्त है। 20 से अधिक देश बौद्ध देश हैं, दुनिया में करीब 6900 विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। दुनिया की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में धम्मपद का अनुवाद हुआ है, लगभग


600 से अधिक भाषाओं में। अतः बौद्ध धम्म (धर्म) दुनिया का पहला विश्व धम्म है और वैज्ञानिक धम्म भी। बहरहाल, 20वीं सदी में डाॅ० भीमराव रामजी सकपाल आम्बेडकर जी बौद्ध-दलित आंदोलन के रूप में जिस नवयान सम्प्रदाय की शुरूवात की थी, उसे नवबौद्ध सम्प्रदाय कहा जाता है। इस सम्प्रदाय के बौद्धिस्ट जन 'बौद्ध महाविहार खजूरगाँव' में बुद्ध पूर्णिमा (बुद्ध जयंती) के दिन महान पुरखों को याद करते हैं।"-गोलेन्द्र पटेल



 

Sunday, 14 April 2024

'ग्राम ज्ञान संस्थान' की कार्यकारी समिति

 "ग्राम ज्ञान संस्थान" (शिक्षा , स्वास्थ्य, सफाई, सेवाभाव) में आप सभी ग्रामवासियों का सादर स्वागत है।... जुड़ें और औरों को जोड़ें। धन्यवाद!🙏


“सबसे क़ीमती धन ज्ञान है 

विद्यार्थियों का, 

विद्यार्थियों के द्वारा, 

विद्यार्थियों के लिये 'ग्राम ज्ञान संस्थान' है 

शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई, सेवाभाव इसकी पहचान है!-गोलेन्द्र पटेल


'ग्राम ज्ञान संस्थान' की कार्यकारी समिति :-

1. संरक्षक:-

2. संस्थापक:-

3.अध्यक्ष:-

4.उपाध्यक्ष:-

5. सह उपाध्यक्ष:-

6. महासचिवः-

7. सचिवः-

8. सहसचिव:-

9. उपसचिव:-

10. सह उपसचिव:-

11. कोषाध्यक्षः-

12. सहकोषाध्यक्षः-

13. संगठन मंत्री:-

14. व्यवस्था मंत्री:-

15. सूचना मंत्री:- 

16. आंतरिक लेखा परीक्षक:-

17. प्रेस-मीडिया प्रभारी:-

18. परामर्श मंडल प्रमुख:-

19. सलाहकार सदस्य:-

20. कार्यकारिणी सदस्य:-

21. कला पक्ष प्रमुख:-

22. संयोजक:-

23. सदस्यगण:-


* 'ग्राम ज्ञान संस्थान' विद्यार्थियों का, विद्यार्थियों के द्वारा, विद्यार्थियों के लिये है। यह संस्था अव्यावसायिक है। इस संस्था के सभी सदस्य अवैतनिक हैं। 

* कार्यकारी समिति के कुछ पद परिवर्तनीय हैं। इसमें प्रत्येक वर्ष संशोधन होगा।

* सर्वसम्मति से शीघ्र ही उन पदाधिकारियों का नाम घोषित किया जाएगा।

*संशोधन के साथ शीघ्र ही नये बैनर का लोकार्पण किया जाएगा, जिस पर नये पदाधिकारियों व नये सदस्यों की विशेष उपस्थित होगी।


संस्थापक संपर्क सूत्र:-

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com


YOUTUBE:-

https://youtube.com/@gramgyansansthan?si=rXnIz1n0rmPopRzu


Facebook Page:- https://www.facebook.com/profile.php?id=61556711291827


WhatsApp:- https://chat.whatsapp.com/DMIdnHBHMIl3AredWv97Qi


जागो और जगाओ, 

सीखो और सीखाओ,

पढ़ो और पढ़ाओ।

#ग्राम_ज्ञान_संस्थान

#graam_g

yaan_sansthaan

#gram_gyan_sansthan

#Village