Golendra Gyan

Wednesday, 6 August 2025

गमछे का रंग (कविता) : गोलेन्द्र पटेल

 

♠[रूप—1]


**गमछे का रंग** 
 
जब मैं
सफ़ेद गमछा डाल निकलता हूँ,
लोग कहते— "यह तो अब कांग्रेसी हो गया है!"
भगवा लपेटूँ,
तो बोल उठते— "भाजपाई लग रहा है।"
लाल पहनूँ,
तो फुसफुसाहट होती— "सपाई निकला!"
नीला ओढ़ूँ,
तो तंज उभरता— "बसपा का प्रतीक है!"
हरा लहराए,
तो चुटकी बजती— "आरजेडी का समर्थक है!"
पीला बाँधूँ,
तो कोई कहता— "जनसुराज का एजेंट है",
कोई बोले— "राजभर का आदमी है।"
 
 
मैं
किसी भी रंग का गमछा ओढ़ लूँ,
हर बार
मुझे किसी न किसी पार्टी से जोड़ दिया जाता है।
 
 
अब तो
रंग भी संदेह बन गए हैं,
गमछा भी विचारधारा!
 
 
मैं
सर्वोच्च न्यायालय से प्रार्थना करता हूँ—
इस रंगभेद की राजनीति से मुझे मुक्त करें।
क्योंकि मैं
सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं,
एक गाँव हूँ—
जिसके हर घर में हर रंग के लोग रहते हैं।

 

♠[रूप—2]
**गमछे का रंग**  
 
सफेद गमछा लहराऊँ,  
लोग चिल्लाएँ, "कांग्रेसी आया!"  
भगवा गमछा कंधे पर डालूँ,  
कहें, "यह तो भाजपाई हो गया!"  
 
 
लाल गमछा लूँ, सपाई ठहरूँ,  
नीला लूँ, बसपाई कहलाऊँ।  
हरा गमछा कंधे पर आए,  
"RJD का सिपाही!"—लोग चिल्लाए।  
 
 
पीला गमछा जो लहरा जाये,  
जनसुराज या राजभर का कहलाये।  
हर रंग में बँटता मेरा नाम,  
पार्टी का ठप्पा, बन गया मेरा काम।  
 
 
सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाऊँ,  
रंगों की कैद से आज़ादी पाऊँ।  
न रंगों में बँटूँ, न पार्टी में बँधूँ,  
मैं सिर्फ़ इंसान हूँ, गाँव का गान हूँ।  

 

♠[रूप—3]
**गमछे का रंग**  
 
जब मैं सफेद गमछा लेकर निकलता हूँ
तो लोग कहते हैं कि यह तो कांग्रेसी हो गया है
जब मैं भगवा गमछा लेकर निकलता हूँ
तो लोग कहते हैं कि यह तो भाजपाई हो गया है
जब मैं लाल गमछा लेकर निकलता हूँ
तो लोग कहते हैं कि यह तो सपाई हो गया है
जब मैं नीला गमछा लेकर निकलता हूँ
तो लोग कहते हैं कि यह तो बसपाई हो गया है
जब मैं हरा गमछा लेकर निकलता हूँ
तो लोग कहते हैं कि यह तो RJD का हो गया है
जब मैं पीला गमछा लेकर निकलता हूँ
लोग कहते हैं कि यह तो जनसुराज का हो गया है
या फिर राजभर का आदमी हो गया है
मैं किसी भी रंग का गमछा लेकर निकलूँ
लोग मुझे किसी न किसी पार्टी से जोड़ दे रहे हैं 
 
मैं सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन करता हूँ
कि वे इस गंभीर समस्या पर ध्यान दें
ताकि मैं किसी भी रंग का गमछा लेकर निकल सकूँ
और लोग मुझे पार्टी विशेष से न जोड़ें
मैं सिर्फ़ एक व्यक्ति नहीं, गाँव हूँ। 
 
—गोलेन्द्र पटेल

 

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)
डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
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व्हाट्सएप नं. : 8429249326
ईमेल : corojivi@gmail.com

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