Golendra Gyan

Tuesday, 30 September 2025

भक्ति = प्रेम × श्रद्धा² (भक्ति का सूत्र)

युवा कवि गोलेन्द्र पटेल द्वारा प्रस्तुत भक्ति का सूत्र :
भक्ति = प्रेम × श्रद्धा²

यह सूत्र गणितीय न होकर सांकेतिक और दार्शनिक है। इसका प्रयोजन है—भक्ति को प्रेम और श्रद्धा के संतुलन के रूप में समझाना।

“प्रेम और श्रद्धा के वर्ग का गुणनफल है भक्ति।”

प्रेम हृदय की मूल है, श्रद्धा उसकी थाह।  

गुणन से उपजे भक्ति, जीवन पाए राह।।


1. भक्ति का आधार : प्रेम

भक्ति की जड़ प्रेम है।

प्रेम के बिना भक्ति केवल रीति-रिवाज या औपचारिकता रह जाती है।

जब हृदय में इष्ट, गुरु, मानवता या आदर्श के प्रति गहरी आत्मीयता उमड़ती है, तभी सच्चा भक्ति भाव जागृत होता है।


2. भक्ति की शक्ति : श्रद्धा²

श्रद्धा का अर्थ है विश्वास, भरोसा और आत्मसमर्पण।

सूत्र में श्रद्धा को वर्ग (²) के रूप में रखा गया है, जो दर्शाता है कि भक्ति के लिए साधारण श्रद्धा नहीं, बल्कि गहन और दृढ़ श्रद्धा चाहिए।

श्रद्धा जितनी गहरी होगी, भक्ति उतनी ही स्थायी और प्रभावशाली होगी।


3. सूत्र का निहितार्थ

प्रेम बिना श्रद्धा हो तो भक्ति भावुकता बन जाती है।

श्रद्धा बिना प्रेम हो तो भक्ति कठोर अनुशासन या अंधविश्वास का रूप ले सकती है।

प्रेम और श्रद्धा² मिलकर ही भक्ति को पूर्ण करते हैं, जिससे यह आत्मा और परमात्मा का मिलन बन जाती है।


4. परवलय और भक्ति का संबंध

प्रेम = x (स्वतंत्र चर)

→ भक्ति का आधार। प्रेम दिशा देता है।

श्रद्धा = y (निर्भर चर)

→ श्रद्धा जितनी बढ़ेगी, उतना प्रभाव गुणात्मक होगा। इसलिए इसे वर्ग (y²) के रूप में रखा गया है।

भक्ति = y² = 4ax प्रकार का रूप

→ यहाँ भक्ति एक परवलय वक्र है, जो "प्रेम" और "श्रद्धा" की संयुक्त रचना है।

अर्थात् भक्ति एक परवलय है, जिसका फोकस ईश्वर है, डायरेक्ट्रिक्स अनुशासन है, प्रेम उसका अक्ष है और श्रद्धा उसकी शक्ति।

जैसे परवलय अनन्त की ओर खुलती है, वैसे ही प्रेम और श्रद्धा² से जन्मी भक्ति साधक को अनन्त ईश्वर की ओर ले जाती है।


निष्कर्ष:

भक्ति का सार है—

प्रेम से उत्पन्न आत्मीयता + श्रद्धा की गहराई का वर्गफल।

यह सूत्र सिखाता है कि भक्ति न केवल हृदय का प्रेम है, न केवल मन की आस्था; बल्कि दोनों का संतुलित और गहन संगम है।


सूत्रार्थ:

भक्ति वह परवलय है, जिसका फोकस ईश्वर 

है और जिसका समीकरण है—प्रेम × श्रद्धा²।


विशेष: ↑अंधभक्ति; 0>श्रद्धा (नकारात्मक)

★★★


रचनाकार: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/ जनकवि, जनपक्षधर्मी लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)
डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
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