Golendra Gyan

Friday, 27 March 2020





**तो**
ओ!
सूनो
तो।
दो
गूनो
जो।
रो
रहा
ढो।
धो
चिता
को।
लो
कफन
बो।
वो
भावी
गो।
ऐसा
ही
हो।
लड़कपन
में
खो-खो।
जवानी
में
भों-भों।
बुढ़ापे
में
खों-खों।
सो
तो
सावधान।
अपनी
रोटी
पो पो।
खुद
खाओ
इंसान।
किसी
पर
निर्भय
क्यों
रहते
हो
आज
आओ
प्राण
भूख
के
भूत
से
भेंट
करने।
भारत
में
भात
सदैव
दूधमुंही
के
दिन
पकते
हैं।
खेत
में
रात
भर
खटते
हैं।
किसान
और
कागज़
पर
रचते
हैं।
मोक्ष
मार्ग
कविजन।
अन्ततः
अपने
निष्कर्ष
में
कहते
हैं
जैसे
भी
हो
बुद्ध
को
पढ़ो।
-गोलेन्द्र पटेल
रचना : 11-03-2020
मो.नं.8429249326

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