Golendra Gyan

Friday, 27 March 2020

#क्या_नजारा_है_देखो : #मेरे_गाँव_की #मेरे_छत_से_देखो
उपर्युक्त कविता का पाठ भी करना चाहिए था : गोलेन्द्र पटेल

१.
मेरे छत से देखो उस छत के परी को
जो सरसों ओसा रही है इसी ओर वो
मेरी जीगर चोरनी बचपन में शोर तो
चारों ओर की कि तू काले से गोर हो
मुझसे मुहब्बत करना जीवन भर ओ
सूनो! इधर गर्दा आ रहा मन भर जो
कितना दर्द है यहाँ देखो मेरी परी रो
रही है और मैं मस्ती कर रहा हूँ सो
स्वप्न में अनेक अप्सराओं के संग अकेला
आँखें खुली जब पत्नी ने पानी पीठ पर रेला।।
-गोलेन्द्र पटेल

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