Golendra Gyan

Friday, 27 March 2020


दो दोस्त कौआ और तोता
प्रजातंत्र का एक ही खोता
चोंचो से चुन एकसाथ रहते थे 
बहुत दिनों से संकट सहते थे

नभ से साथ उतरकर नव रूख का
विपत्तिओं में एकदूसरे के भूख का 
भोजन ढूँढते-फिरते,आम्र-ऊख का
ठेला देखा : देख एक आम तोता लें
आकाश में उड़ गया 
कौआ देखता ही रह गया
गन्नों के गाँठ को
प्रजापति और प्रजा के पाठ को
स्मरण कर

अतिशिघ्र काग ने सुग्गे-
से कहा सखे मुझे कड़ा-
वाला भाग चाहिए
तो तोता दिया गुठली

कौआ आम का कोइली
लिए कब तक फिरे वन में
गुद्दा तो चतुर तोता छली
कब का खा लिया गगन में

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