तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव / गोलेन्द्र पटेल
(तृतीय खंड)
हम दोस्त हैं
आपस में सुख-दुख साझा करते हैं
करते हैं आधी-आधी रात
बात
हम खेले हैं साथ
होलापात
और
एक ही थाली में खाये हैं
भात
वह पत्थर पर पढ़ता है
मानव का इतिहास
मैं गढ़ता हूँ
घास
उसके खेत में
उसे शक्त नफ़रत है लव-अफेयर्स से
उसकी नज़रों में प्रेम
स्वयं में प्रश्न है
उसे प्यार है
करेंट अफेयर्स से
वह मानस की मिट्टी में रोपना चाहता है
मनुष्यता का विशाल वृक्ष
वह पीड़ा के पर्वतों को उखाड़
फेंकना चाहता है
महासागर में
उसकी जिजीविषायें फँसी हैं
जीवन के जंजाल में
जैसे जंगल के झाड़-झंखाड़ में
फँसा है साँड़
और
पीछे से गीदड़-सियार
नोंच रहे हैं गाँड़
यहाँ नोंचना कायरता नहीं
भूख की चतुराई है
आह रे माई!
आहत की अँगड़ाई है
उसे दुःख इस बात का है
कि जंगल जल रहा है
नदियाँ पट रही हैं
हिमालय
होश में नहीं है
चारों ओर धुआँ ही धुआँ है
अशुद्ध हो गया है
वात
फेफड़ा कमजोर हो रहा है
दुःख खड़ा है द्वार पर
और उसका गात
ग्रस्त हो चुका है अनेक रोगों से
वह कह रहा है लोगों से
कि मृत्यु बढ़ी आ रही है
उसकी ओर
लंबी है रात, लंबा है भोर
मचा है शोर
कि घर में घूँसा हुआ चोर
चाकूमार है
एक नहीं, चार हैं
उसका घर केवल घर नहीं
पुस्तकालय है
जिसमें आर्कियॉलॉजी की आत्मा है
जो असल में उसकी ज़िन्दगी की पूँजी है
विस्फोट की आवाज़
आज गगन में गूँजी है
जल गईं इच्छाएँ
राख हो गये सभी स्वप्न
स्वप्नों का मरना
जीते जी जिंदा लाश हो जाना है
मित्र उठो!
तुम्हें लक्ष्य पाना है
इस लक्ष्य में शामिल है
तुम्हारी माँ की इच्छा
नाना की ख़्वाहिश
और
तुम्हारी सबसे बड़ी चाहत
मित्र!
मुश्किलें मनुष्य को मजबूत बनाती हैं
तुम्हें याद ही होगा
कि मेरे घर भी
कभी आग लगी थी
जिसमें जल गई थीं मेरी रचनाएँ
बचपन की कुछ कृतियाँ
कुछ स्मृतियाँ
उस वक्त
मैं भी भीतर से टूट गया था
मेरी रचनात्मकता रो रही थी
तब तुम्हारी भेंट की हुई पुस्तकों ने सम्भाला था मुझे
हाल ही में होनी की वजह से
मेरे घर के दीये बुझे हैं
मैं जगाना चाहता हूँ तुझे
गम की गहरी नींद से
मित्र!
जिद से जीत सकते हो कोई भी जंग
मैं तुम्हारे साथ हूँ
ठीक है मित्र
मुझमें आ गई है उमंग
वह बनाता है समय के श्यामपट पर
दुनिया का चित्र
जिसमें युद्ध की वजह से मरे हुए मानव के
कंकाल एकसाथ कह रहे हैं
कि वे उन शहंशाहों की शक्ति हैं
जो दुनिया जीतना चाहते थे
खैर, मुझे तो केवल और केवल
अपने कल को जीतना है
और संघर्ष की स्याही से लिखना है
संवेदना का शिलालेख
दर्द के दर्पण में देख-देख कर
मित्र गोलेन्द्र! बहुत बहुत धन्यवाद!
कि तुम मुझे पुनः खड़ा किये
बहुत बहुत धन्यवाद!
कि तुम मेरा सपना बड़ा किये
मित्र!
मैं तो चाहता हूँ
कि मेरे सभी मित्रों का स्वप्न
बड़ा हो
मेरे प्रिय पुरातत्वज्ञ!
आज तुम्हारा जन्मदिन है
तुम्हें ख़ूब बधाइयाँ
और
अनंत आत्मिक शुभकामनायें
चलो!
केक काटो
और बाटो ख़ुशियाँ
ठीक उसी तरह
जिस तरह सूरज बाटता है रोशनी
फूल बाटता है ख़ुशबू
मित्र!
ख़ुद को दूसरे के लिए
समर्पित करना है
असल में मनुष्य होना है
परंतु अब पृथ्वी पर मनुष्य बहुत कम हैं
हाँ,
यह तो है
लेकिन जो लोग मनुष्य हैं
वे लोग चाहें
तो शेष भी मनुष्य हो सकते हैं
बाहर से किसी ने आवाज़ दी
कि आपको जन्मदिन मुबारक हो
यह तो लड़की की आवाज़ है
यह कौन है
मैं मौन उसके बारे में सोचा रहा हूँ
कि इसके विषय में
मुझे तो कभी बताया नहीं
तभी एक अन्य मित्र ने मुझसे पूछा
कि कहीं यह उसका प्यार तो नहीं है
मैंने कहा
नहीं,
कोई रिश्तेदार होगी
भला जिसे प्रेम से नफ़रत है
उसकी कोई गर्लफ्रैंड हो सकती है
वह मेरी चुप्पी का अर्थ समझ गया
उसने कहा
कि वे मेरी दीदी हैं
सौतेली हैं लेकिन लगती नहीं हैं
कि वे सौतेली हैं
मेरी आँखें पहली दफ़ा देखी
कि रिश्ते की रोशनी
बहन के आने पर आँगन में उतरी है
उनका स्वभाव अच्छा है
बहुत अच्छा है
उनकी बातें अच्छी हैं
वे हिंदी विभाग....विश्वविद्यालय की शोधार्थी हैं
उन्होंने मुझसे पूछा
कि मैं अभी क्या कर रहा हूँ
मैंने कहा कि
मैं बीएचयू में हिंदी ऑनर्स से स्नातक कर रहा हूँ
फिर मेरा परिचय मित्र ने स्वयं कराया
दोस्तो! दोस्ती दुनिया की
वह दवा है
जिससे जख़्म का दर्द जल्द कम होता है
हम जो बातें माँ-बाप-बच्चे-पत्नी से छुपाते हैं
उन बातों को
दोस्तों से साझा करते हैं
ताकि मन भर के मन को हल्का कर सकें
कह सकते हैं कि
एक अच्छा दोस्त देवता से बढ़ कर होता है
वे कहती हैं कि
तुम दोनों की दोस्ती को किसी की नज़र न लगे
किसी अन्य ने कहा कि
दीदी!
दरअसल दोस्ती की पहली शर्त है त्याग
जिसमें अन्य तत्व हैं
मगर विश्वास का अधिक महत्व है
मैं अपने दोस्त की बात दर्ज कर रहा हूँ
कि एक सच्चा दोस्त दुःख हरता है
जो कि सुपथ पर चलने को प्रेरित करता है
दोस्तो!
यह एक दोस्त की व्यथा-कथा को
कविता में ढ़ालने की कोशिश है
मैं चाहता हूँ कि
प्रिय पाठक से मिले
यही आशीष
कि झुके न कभी दोस्ती का शीश
मेरा दोस्त
मेरे इश्क का ईश है!
(©गोलेन्द्र पटेल
28-11-2020)
नाम : गोलेन्द्र पटेल
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