Golendra Gyan

Saturday, 20 July 2024

तुझसे डर नहीं मृत्यु (आत्मकथा)

तुझसे डर नहीं मृत्यु


आसमान नीचे देख रहा है


फूल की व्यथा 

रंग नहीं, गंध कहती है 


खेत की आत्मकथा 

कलम से नहीं, कुदाल से लिखी जाती है 

किस के हाथों में कुदाल है?

किस के दिल में फाल है?

किस के दिमाग़ के स्मृतिकक्ष में कोई जीवित पात्र है?

लेखन में कौन ईमानदार है?

सच लिखने का साहस किस में है?

किस का जीवन आलोक पुंज है?

किस की प्रत्येक वाणी में महाकाव्य-पीड़ा है?

कौन जानता है आँसू की क़ीमत?

भाषा में कितनी दुखी इड़ा है!

सागर शांत है

सड़क पर सन्नाटा पसरा है

जंगल बोल रहा है कि पहाड़ का घाव गहरा है 


वन-बुद्धिजीवी! जन-बुद्धिजीवी!

यादें ज़िन्दा रहेंगी...


सफ़र के संधि स्थल पर 

दु:ख में तपे हुए इंसान की कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं होता 


न तो मैं जूठन पढ़कर विचलित हुआ 

न ही मुर्दहिया 

न ही कोई जातिदंश की दस्तावेज़

न ही कोई अपमानबोध की अंतहीन कथा 

न ही कोई अन्तरावलंबित समाज की अंतर्कथा पढ़कर 


मुझे आधी आबादी की आत्मकथाएँ भी नहीं रुला पातीं

ऐसा नहीं है कि उनमें क्षमता नहीं है 

या फिर उनमें वह आग नहीं है 

जो हृदय में रोष का राग छेड़ सके

जो करुणा को क्रोध में तब्दील कर सके

अन्याय के ख़िलाफ़ 


अस्मिता और अस्पृश्यता की कितनी ऊँची अनुगूँज है! 


इस वक्त वेदना के वाक्य विद्या से नहीं,

बल्कि करुणा से उपजते हैं 


जो इंसान बुरे अनुभव से गुज़रा है 

या अपने किसी स्वरूप को गुज़रता हुआ देख रहा है 

वह लहुलुहान दृश्य से जुड़ता तो है 

पर, उसकी आत्मा गीली नहीं होती है 

उसके कंठ से तर्कवादी तान के साथ 

संघर्ष का संगीत फूटता है 

उसका मन हरा होता है 

उसका विवेक सत्य पर संवेदनात्मक शब्द कूटता है

जैसे कोई वैद्य जड़ी-बूटी 


यदि रात का संबंध ख़ुद से है 

तो बात कोई भी करे

वह अपनी ही है


दिन अमानवीय घटनाओं पर चुप क्यों है?


दीन हो चुकी नदी चीख रही है 

रेत कविता सुना रही है

आत्मकथा लिख रही है नहर 

और नाव गढ़ रही है कहानी 

सरकार की तरह 

मगर, मछलियों को द्वीप के देवता पर संशय है!

वे पानी के बाहर कहती हैं 

कि तुझसे डर नहीं मृत्यु!


(©गोलेन्द्र पटेल / 20-07-2024)

कवि परिचई :-
नाम : गोलेन्द्र पटेल (युवा कवि व लेखक : पूर्व शिक्षार्थी, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
उपनाम/उपाधि : 'गोलेंद्र ज्ञान', 'गोलेन्द्र पेरियार', 'युवा किसान कवि', 'हिंदी कविता का गोल्डेनबॉय', 'काशी में हिंदी का हीरा', 'आँसू के आशुकवि', 'आर्द्रता की आँच के कवि', 'अग्निधर्मा कवि', 'निराशा में निराकरण के कवि', 'दूसरे धूमिल', 'काव्यानुप्रासाधिराज', 'रूपकराज', 'ऋषि कवि',  'कोरोजयी कवि', 'आलोचना के कवि' एवं 'दिव्यांगसेवी'।
जन्म : 5 अगस्त, 1999 ई.
जन्मस्थान : खजूरगाँव, साहुपुरी, चंदौली, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : बी.ए. (हिंदी प्रतिष्ठा) व एम.ए., बी.एच.यू., हिन्दी से नेट।
भाषा : हिंदी व भोजपुरी।
विधा : कविता, नवगीत, कहानी, निबंध, नाटक, उपन्यास व आलोचना।
माता : उत्तम देवी
पिता : नन्दलाल

पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन :

कविताएँ और आलेख -  'प्राची', 'बहुमत', 'आजकल', 'व्यंग्य कथा', 'साखी', 'वागर्थ', 'काव्य प्रहर', 'प्रेरणा अंशु', 'नव निकष', 'सद्भावना', 'जनसंदेश टाइम्स', 'विजय दर्पण टाइम्स', 'रणभेरी', 'पदचिह्न', 'अग्निधर्मा', 'नेशनल एक्सप्रेस', 'अमर उजाला', 'पुरवाई', 'सुवासित' ,'गौरवशाली भारत' ,'सत्राची' ,'रेवान्त' ,'साहित्य बीकानेर' ,'उदिता' ,'विश्व गाथा' , 'कविता-कानन उ.प्र.' , 'रचनावली', 'जन-आकांक्षा', 'समकालीन त्रिवेणी', 'पाखी', 'सबलोग', 'रचना उत्सव', 'आईडियासिटी', 'नव किरण', 'मानस',  'विश्वरंग संवाद', 'पूर्वांगन', 'हिंदी कौस्तुभ', 'गाथांतर', 'कथाक्रम', 'कथारंग', 'देशज', 'पक्षधर' आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित एवं दर्जन भर से ऊपर संपादित पुस्तकों में रचनाएँ प्रकाशित हैं।

लम्बी कविताएं : 'तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव' एवं 'दुःख दर्शन'


काव्यपाठ : अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय काव्यगोष्ठियों में कविता पाठ।

सम्मान : अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय की ओर से "प्रथम सुब्रह्मण्यम भारती युवा कविता सम्मान - 2021" , "रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2022", हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की ओर से "शंकर दयाल सिंह प्रतिभा सम्मान-2023",  "मानस काव्य श्री सम्मान 2023" और अनेकानेक साहित्यिक संस्थाओं से प्रेरणा प्रशस्तिपत्र प्राप्त हुए हैं।

संपर्क :
डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
पिन कोड : 221009
व्हाट्सएप नं. : 8429249326
ईमेल : corojivi@gmail.com

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(दृष्टिबाधित विद्यार्थियों के लिए अनमोल ख़ज़ाना)

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1 comment:

  1. गहन संवेदनशील अभिव्यक्ति!

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