Golendra Gyan

Friday, 27 March 2020






सूखी छाती
चूचकी चाम
चमचमाती
घाम
राम!राम!राम!...
नाम
जपती
जननी
नन्हा शिशु थाम
सुबह-शाम
चूचुक चिंचोड़ता
चुपचाप
जैसे पका आम
आप!
देव-पत्थर
    या
शिवलिंग पर

चढ़ा दूध
नाली-गटर
पथ धर
हरि-हर
तक जाता है
बढ़ा बुद्ध
विवेक-ज्ञान
विद्वान
इंसान
भिक्षादान : जिसे वे आँसू देते हैं
वही दयाभिक्षुणी कर्षित माता है
देवी हैं!!देवी हैं!देवी हैं!...
जन्म जीव सेवी हैं : महतारी
लाचारी-बेचारी-नारी
आज वक्त से है हारी
मदद करो बारी-बारी
मनःआदमी अवतारी
कविगण करुणाधारी
-गोलेन्द्र पटेल
रचना : ०९-०१-२०२०

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