★स्मृति★
आह! आज मेरे
मृत मन में स्मृत
हुआ वेदों के ऋत
कृतकृत्य हो हृदय
नृत्य कर रहा :
एक वृत्त पर
भृत्य नर कहा :
एक कृत पर
अपने अन्तःकरण में
जो लोककृति हैं
पावन-मनभावन
उसी दर्पण में
आ आकृति अक्ल रेखता
साहित्य का शक्ल देखता
पूर्वजों के काव्यकृति में
पूज्य परंपरा रीति में
एकचित्त हो स्मृति में
-गोलेन्द्र पटेल
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