Tuesday, 24 June 2025

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन :-

1. “तुम्हें कोई मोटिवेशनल कोटेशन कब तक प्रेरित करेगा, तुम ख़ुद ख़ुद का स्थायी प्रेरणा बनो!”

2. “संघर्ष शत-प्रतिशत समर्पण माँगता है।”

3. “सफलता के पीछे दुनिया भागती है, पर सफलता सार्थकता के पीछे भागती है, इसलिए सफल होने से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है सार्थक होना।”

4. “असफलताएं जितना ज़्यादा निराश करती हैं, उतना ज़्यादा निखारती हैं।”

5. “व्यक्तित्व में सामंजस्य या समन्वय का नहीं, समानता का भाव होना चाहिये।”

6. “अनुभव अद्वितीय आचार्य है, अर्थात् अनुभव सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।”

7. “अन्वेषण और अनुसंधान  के लिए आत्मविश्वास आवश्यक है और आत्मविश्वास के लिए आत्मज्ञान और आत्मज्ञान के लिए आत्मालोचन और आत्मालोचन के लिए अंतर्दृष्टि।”

8. “सपने तभी सच होते हैं, जब वे प्रेरणास्रोत बन जाते हैं।”

9. “साहस अटूट विश्वास का नाम है।”

10. “अपने चित्त को किसी का शिष्य बनाने से अच्छा है कि आप अपनी चेतना का चेला बनें, क्योंकि चेतना वह चिराग़ हो, जो कभी नहीं बुझती।”

11. “परिस्थितियाँ चाहें कितनी विपरीत क्यों न हों, प्रज्ञात्मक अनुभूति कभी साथ नहीं छोड़ती।”

12. “बिना दृढ़ संकल्प, बिना मेहनत, बिना संघर्ष की सफलता अस्थायी होती है।”

13. “नींद मृत्यु ही नहीं, पुनर्जीवन की जननी भी है!”

14. “जीतने के लिए ज़िद्दी होना ज़रूरी है।”

15. “सकारात्मक सोच सफलता की कुंजी है।”

16. “अच्छी ज़िन्दगी के लिए किताबें पूरा साथ चाहती हैं।”

17. “वाणी में विनम्रता धैर्यवान होने की कसौटी है।”

18. “धैर्य लक्ष्य के पथ का पथिक है।”

19. “सपने तभी बड़े होते हैं, जब सोच बड़ी होती है।”

20. “कर्म से ही इंसान का स्टेटस है।”

21. “दूसरों से बेहतर बनने से अच्छा है कि हर दिन ख़ुद से बेहतर बनें।”

22. “शिक्षा इसलिए ग्रहण करो कि दुनिया तुम्हें ग्रहण करें।”

23. “दुनिया दोस्ती और दुख से बहुत छोटी है।”

24. “मानव योनि में जन्म लेने से कोई मनुष्य नहीं होता है, मनुष्य होने के लिए भीतर की मानवता को जगाना ज़रूरी है।”

25. “प्रकाश के तीन स्रोत हैं अग्नि, चेतना और शब्द और इन तीनों का स्रोत है जीवन, इसलिए जीवन को पढ़ें।”

26. “जान है, तो ज्ञान है, इसलिए सेहत को शिक्षा से कम न समझें।”

27. “कविता आत्मा की औषधि है।”

28. “आस्था और तर्क एकसाथ नहीं रह सकते। यदि कोई आस्थावादी कहता है कि वह तर्कवादी है, तो वह तुम्हें नहीं, ख़ुद को बेवकूफ़ बना रहा है।”

29. “प्रगतिशील होने की पहली शर्त है व्यवहार में जाति संस्कार से मुक्त होना।”

30. “साहित्य पढ़ने से हमारी चेतना का विकास ही नहीं होता, बल्कि हम थोड़े और मनुष्य भी होते हैं।”

31. “चेतना का विकास दुनिया के हर विकास से महान है।”

32. “चेतना चिरंजीवी चिराग़ है।”

33. “साहित्य जनसेवा की सीख देता है।”

34. “इंसानियत से बड़ा कोई ईश्वर नहीं है।”

35. “दूसरों की मदद करना, बेहतर इंसान होना है।”

36. “प्रेम उदात्तावस्था में भक्ति है।”

37. “भाषा दुःख को सँभाल लेती है।”

38. “सहजता संतोन्मुखी है, इसलिए सहज होना आसान नहीं है।”

39. “सत्य बोलने वाले आसानी से झूठ नहीं बोलते हैं।”

40. “फल हो या चरित्र, दाग लगने पर दाम घट जाता है।”

41. “महापुरुषों के पुजारी नहीं, पाठक बनें।”

42. “स्टार नहीं, चाँद-सूरज बनिये, क्योंकि स्टार सिर्फ़ दिशा बताते हैं, राह के काँटें, साँप, बिच्छू, गोजर नहीं।”

43. “सफलता की ओर जाने वाली सड़क उबड़-खाबड़ होती है।”

44. “नींद से लड़े बिना नयी ज़िन्दगी नहीं मिलती।”

45. “कामयाबी सच्ची ख़ुशी नहीं है, लेकिन इसे पाना हर कोई चाहता है, क्योंकि यह एक ख़ूबसूरत पल है।”

46. “यथाशीघ्र लक्ष्य तभी प्राप्त होता है, जब आप निरंतर चलते हैं।”

47. “बड़े सपने, बड़ा संघर्ष चाहते हैं।”

48. “भविष्य में लग्जरियस लाइफ के लिए लाइब्रेरी जाना चाहिये।”

49. “लाइब्रेरी में बैठा व्यक्ति पूरी दुनिया का चक्कर लगता है।”

50. “लाइब्रेरी में शांति बनाये रखने वाले दुनिया में शांति कायम करते हैं।”

51. “जुनून इंसान को जुगनू नहीं, सूर्य बनाता है।”

52. “हर किसी में एक प्रतिभा है, बस उसे पहचानने की ज़रूरत है।”

53. “प्रतिभा को छिपाना नहीं, प्रकाशित करना चाहिये।”

54. “जिज्ञासा नई खोज की जननी है।”

55. “उत्सुकता की हद से गुज़रे बिना कुछ नया नहीं किया जा सकता।”

56. “फ़ेल होना, असफल होना नहीं, बल्कि कुछ बेहतर करना है।”

57. “फेलियर का अनुभव किसी आचार्य से कम नहीं है, इसलिए उसे सच्चे मन से सुनें।”

58. “हर यात्रा हमें समृद्ध करती है।”

59. “उल्टा-सीधा स्टूपिड सा प्रश्न पूछना, नयी खोज का पहला चरण है।”

60. “एक किताब के बाद एक किताब ही शक्ति है, किताबें बिना पैरों की लंबी दूरी तय करती हैं, किताबों की आब से दुनिया में रोशनी है, किताबें हमें सफल और सार्थक बनाती हैं।”

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com

Friday, 20 June 2025

संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन || गोलेन्द्र पटेल

 “संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन।”—गोलेन्द्र पटेल 

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आज विश्व योग दिवस और विश्व संगीत दिवस है। संगीत योग की उच्चावस्था का नाम है। संगीत, एक कलात्मक अभिव्यक्ति है जो ध्वनि, लय और माधुर्य के माध्यम से भावनाओं को व्यक्त करती है। संगीत, योग, संभोग और सेक्स का आपस में घनिष्ठ संबंध है, क्योंकि इनका संबंध जीवन से है।

ओशो ने कहा है कि प्रेम का कोई शास्त्र नहीं है, न कोई परिभाषा है, न प्रेम का कोई सिद्धांत है।

योग, संभोग और सेक्स शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए किया जाता है।

योगश्चित्त्वृत्ति निरोधः। योग अनिवार्य रूप से एक अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य लाने पर केंद्रित है। यह स्वस्थ जीवन जीने की एक कला और विज्ञान है। 'योग' शब्द संस्कृत मूल 'युज' धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'जुड़ना' या 'जोड़ना' या 'एकजुट होना'

 जुड़ना एक ऐसी विद्या से जिससे की मनुष्य जीवन का सर्वांगीण विकास हो तथा वह ब्रह्म विद्या की प्राप्ति या समाधि की प्राप्ति के लिए अग्रसित हो सकें । योग जीवन जीने की पद्धति है, दूसरे शब्दों में, शरीर, मन व आत्मा तीनों की शुद्धि व नियंत्रण योग है।

महर्षि पतंजलि को "योग के जनक" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने योग सूत्र की रचना की थी, जिसमें योग के विभिन्न पहलुओं को व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया है। यह ग्रंथ योग को "चित्त वृत्ति निरोध" (मन की चंचलता को नियंत्रित करना) के रूप में परिभाषित करता है और योग के आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि) का वर्णन करता है, जिसे अष्टांग योग कहा जाता है।

संभोग योग साधना है, संभोग के योग गुरु हैं महर्षि वात्स्यायन। संभोग स्वाभाविक है, लेकिन इसे संयम और आत्म-नियंत्रण के साथ जोड़ा गया है। यह सहमति, प्रेम, प्यार, स्नेह, भावनात्मक संवेगों और शारीरिक-मानसिक संतुष्टि पर ख़ूब ज़ोर देता है, इसका संबंध जीवन के व्यापक लक्ष्यों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष से है!

https://youtu.be/Kke4W75LGcA?si=bbPmV0SuZMKsBZev

हमें दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करने से पहले महर्षि वात्स्यायन (Maharishi Vatsyayana) के 'काम सूत्र (Kama Sutra)' ही नहीं, बल्कि ओशो की ‘संभोग से समाधि की ओर’ पुस्तक पढ़ लेनी चाहिए! चार्वाक दर्शन को जान लेना चाहिए!

चार्वाक दर्शन जीवन का भोगवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जिसमें सुख, आनंद और इंद्रिय तृप्ति को महत्व दिया जाता है।

हमें ‘विश्व की यौन संहिता’ को उलट-पुलट कर देख लेना चाहिए! हमें अंतर्यात्राओं के दौरान खजुराहो, कोणार्क, एलोरा, अजंता एवं राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी को भी देख लेना चाहिए! हमें जयदेव, विद्यापति, घनानंद के पदों को गुनगुना लेना चाहिए! हमें जानना चाहिये कि श्रीमद्भागवत गीता में संभोग को इच्छा (काम) के रूप में क्यों देखा गया है! 

बहरहाल, संभोग एक प्राकृतिक और सामान्य मानव अनुभव है, जो आनंद, अंतरंगता, और प्रजनन जैसे विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करता है। 

मैंने (गोलेन्द्र पटेल) ‘संसर्ग से सद्गति की ओर’ में लिखा है, “सेक्स और संभोग में अंतर है। सेक्स में भावना का महत्त्व नहीं होता है, लेकिन संभोग में भावना का ख़ूब महत्त्व होता है, क्योंकि संभोग का संबंध मन से है और सेक्स का संबंध तन से। संभोग वात्सल्योन्मुखी है जबकि सेक्स वासनोन्मुखी है, संभोग में करुणा सक्रिय होती है जबकि सेक्स में क्रूरता सक्रिय होती है, संभोग में सहमति-असहमति का ख़्याल रखा जाता है जबकि सेक्स में सहमति-असहमति का कोई ख़्याल नहीं रखा जाता है, संभोग में प्रेम पथप्रदर्शक है जबकि सेक्स में पीड़ा पथप्रदर्शक है!”

भारतीय कामसूत्र की योग संभोग पोजिशन (bhaarateey Sambhog Positions Of Kamasutra) :

1.हलासन (Halasana Or Plow Pose)

2.उत्तानासन (Uttanasana)

3.अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

4.त्रिपद अधोमुख श्वानासन (Tri Pada Adho Mukha Svanasana)

5.सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)

6.बालासन (Balasana)

7=भुजंगासन (Bhujangasana) एवं अन्य।


पाश्चात्य कामसूत्र की योग सेक्स पोजिशन (Paashchaaty Sex Positions Of Kamasutra) : 

1. बिल्ली मुद्रा (मार्जरी आसन) 

2. गाय मुद्रा (बिटिलासन) 

3. ब्रिज पोज़ (सेतु बंध सर्वांगासन) · 

4. हैप्पी बेबी (आनंद बालासन) 

5. एक पैर वाला एवं अन्य।

शेष बातें और कभी!

आपको विश्व योग दिवस और विश्व संगीत दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें!

Thursday, 8 May 2025

चंदौली में चकबंदी || चकबंदी से परेशान ग़रीब किसान ध्यान दें! || जो किसान उड़ान चक से दुखी हैं || भू माफिया 'चकबंदी के चम्मच' से मलाई खाते हैं।

 

जो किसान उड़ान चक से दुखी हैं

प्रिय किसान साथियों, उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम, 1953, उत्तर प्रदेश में चकबंदी प्रक्रिया को विनियमित करने और किसानों को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चकबंदी, जिसे ज़मीन समेकित करना भी कहते हैं, चकबंदी वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा किसानों के बिखरे हुए खेतों को एक साथ करके, उन्हें एक ही बड़े खेत में बदल दिया जाता है अर्थात् चकबंदी से किसानों के बिखरे हुए खेतों को एक साथ लाकर एक बड़ा और सुव्यवस्थित खेत बनाया जाता है। यह प्रक्रिया किसानों को खेती करने में आसानी प्रदान करती है और उत्पादन में वृद्धि में मदद करती है, लेकिन चकबंदी के दौरान कुछ किसानों को अपने पैतृक भूमि से दूर होना पड़ सकता है, उन्हें बिखरे हुए खेतों की जगह कम या अलग जगह पर जमीन मिल सकती है, जिससे उन्हें भावनात्मक नुकसान हो सकता है। बहरहाल, यदि चकबंदी से प्रशासन की चौकसी नज़र हटती है, तो भू माफिया 'चकबंदी के चम्मच' से मलाई खाते हैं।

किसानों की सहूलियत के लिए शुरू की गई चकबंदी की प्रक्रिया काफी अहम होती है, लेकिन इस प्रक्रिया की जानकारी किसानों को काफी कम होती है या गाँव स्तर पर कुछ प्रभावशाली लोग इस प्रक्रिया से आम लोगों को दूर रखना ही बेहतर समझते हैं। अगर किसान लगातार चकबंदी प्रक्रिया पर नज़र रखें और जानकारी लेते रहे तो चकबंदी उनके लिए सहूलियत भरी हो सकती हैं।

चकबंदी लेखपाल गाँव में जाकर अधिनियम की धारा-7 के तहत भू-चित्र संशोधन, स्थल के अनुसार करता है और चकबंदी की धारा-8 के तहत पड़ताल का काम करता है, जिसमें गाटो की भौतिक स्थिति, पेड़, कुओं, सिंचाई के साधन आदि का अकंन आकार पत्र-दो में करता है। इसके अलावा खतौनी में पाई गई अशुद्धियों का अंकन आकार-पत्र 4 में करता है। प्रारंभिक स्तर पर की गई पूरी कार्यवाहियों से खातेदार को अवगत कराने के लिए अधिनियम की धारा-9 के तहत आकार-पत्र 5 का वितरण किया जाता है, जिसमें खातेदार अपने खाते की स्थिति और गाटो के क्षेत्रफल की अशुद्धियाँ जान जाता है। धारा-10 के तहत पुनरीक्षित खतौनी बनाई जाती है, जिसमें खातेदारों की जोत सम्बन्धी, गलतियों को शुद्ध रूप में दर्शाया जाता है। सहायक चकबंदी अधिकारी द्वारा चकबंदी समिति के परामर्श से चकबंदी योजना बनाई जाती है और धारा-20 के तहत आकार पत्र-23 भाग-1 का वितरण किया जाता है। चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी द्वारा प्रस्तावित चकबंदी योजना को धारा-23 के तहत पुष्ट किया जाता है, जिसके बाद नई जोतों पर खातेदारों को कब्ज़ा दिलाया जाता है। अधिनियम की धारा-27 के तहत रिकॉर्ड (बंदोबस्त) तैयार किया जाता है, जिसमें आकार पत्र-41 और 45 बनाया जाता है। नए नक़्शे का निर्माण किया जाता है, जिसमें पुराने गाटों के स्थान पर नये गाटे बना दिए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया की हर स्तर पर जाँच की जाती है। अगर कोई खातेदार इस प्रक्रिया से खुश नहीं है, तो खातेदार धारा-48 के तहत उप संचालक चकबंदी के न्यायालय में निगरानी वाद दायर कर सकता है।

मतलब, अगर कोई चकबंदी से खुश नहीं है, तो एसीओ के बाद चकबंदी अधिकारी (सीओ) के यहाँ अपील कर सकता है। इसके बाद एसओसी फिर, डीडीसी के यहाँ अपील की जाती है। यहाँ भी बात न बने तो हाई कोर्ट में अपील की जाती है। चकबंदी से संबंधित शिकायत करने के लिए, आप सबसे पहले चकबंदी अधिकारी (Settlement Officer, Consolidation) से संपर्क कर सकते हैं। अगर इससे समाधान न हो, तो आप राजस्व विभाग, SDM या न्यायालय में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर भूमि विवाद गंभीर है या विवाद बढ़ रहा है, तो SDM (Sub Divisional Magistrate) के माध्यम से धारा 144 या 145 CrPC लगवाई जा सकती है। यदि धोखाधड़ी और जालसाजी भूमि के अवैध कब्जे का मामला है, तो सबसे पहले धारा 420 के तहत थाने में शिकायत दर्ज करना और फिर नागरिक मामले की प्रक्रिया शुरू करना सुझाया जाता है।

ऑनलाइन शिकायत के लिए, आप चकबंदी निदेशालय वेबसाइट पर जा सकते हैं या उत्तर प्रदेश के राज्य पोर्टल पर जा सकते हैं। आप चकबंदी निदेशालय, उत्तर प्रदेश सरकार के आधिकारिक वेबसाइट upconsolidation.gov.in पर भी जा सकते हैं। आप भूमि रिकॉर्ड देखने और चकबंदी प्रक्रिया की प्रगति की जाँच करने के लिए भूलेख यूपी पोर्टल (https://upbhulekh.gov.in/) पर जा सकते हैं।

चकबंदी से परेशान ग़रीब किसान ध्यान दें!

जो ग़रीब किसान चकबंदी से परेशान हैं, जिनके साथ ग़लत हुआ है, जिनको भी लग रहा है कि उनकी खतौनियों, गाटों (खसरा संख्याओं) में अशुद्धियाँ हैं, कुछ गड़बड़ी हुई है, जिनको भी लग रहा है कि ग्रामसभा खजूरगाँव की चकबंदी में धांधलीबाज़ी की जा रही है, जिनको भी लग रहा है कि उनका चकआउट ठीक नहीं है, रोड के किनारे का जिनका भी खेत किसी ने चकबंदी अधिकारियों या ग्रामभूमि प्रबंध समिति या दलालों या दलबंदियों या गुटबंदियों को घूस-घास (पैसा/मोटी रकम/रिश्वत) देकर अपने नाम करा लिया है या जिनको भी उपजाऊ खेत के बदले में ग़लत तरीके से बंजर खेत या ताल-तलई वाला खेत या खलार खेत दिया जा रहा है, जिनको भी सभी आकार पत्र समय पर नहीं मिले हैं, वे 12 मई को शाम 4 बजे से 'बौद्ध महाविहार खजूरगाँव' में हमसे संपर्क कर सकते हैं। याद रहे कि ग़रीब किसानों के साथ ग़लत करने वाले चकबंदी से संबंधित भ्रष्ट अधिकारी भी भारतीय दण्ड संहिता, धारा-167 (Section:167 IPC) के तहत 3 साल के लिए जेल जा सकते हैं।..... धन्यवाद!


आपका: गोलेन्द्र पटेल 



Tuesday, 22 April 2025

पहलगाम (कविता) : गोलेन्द्र पटेल


 पहलगाम


हमें बाँटने, काँटने, लड़ाने की कोशिशें जारी हैं 


बेहद दुखद है

इस वक्त भाषा से भूगोल तक 

चीख़ और चुप्पी के बीच 

आँसू की ऊँची अनुगूँज है—

“जाति नहीं, धर्म पूछकर गोली मारी” 

इस वाक्य का ट्रेंडिंग में होना 

साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का घड़ियाली आँसू रोना है 


स्याह संवेदना की साहसी कलम कैदी है 

बंदूक और बारूद के बीच कुर्सी मस्त है 

क्योंकि झूठ के आगे सत्य पस्त है

हम मासूम बेगुनाहों की दर्दनाक मौत से संत्रस्त हैं

हमारा मन आहत है, तन नहीं 

इस आतंकी हमले ने देश को स्तब्ध कर दिया है 

जनतंत्र का तंत्र निःशब्द है, लेकिन जन नहीं 


यह आतंकवादी हमला क्रूर, बर्बर, नृशंस, भयानक 

और हृदयविदारक है 

हम इस घटना से दुखी और हैरान हैं

हम इस कुकृत्य, हत्यकांड की कड़ी भर्त्सना करते हैं

हम सरकार की निंदा करते हैं 

क्योंकि हत्या हर हालत में निंदनीय है

हम संवेदनशील इंसान हैं 

हमें पता है कि जहाँ कुशासन है 

वहाँ हिंसा, हत्या, पलायन, अराजकता फैली हुई है

और बहुत सघन अँधेरा है 

हम असुरक्षित हैं 

क्योंकि हमें भूख, भय और भूतों ने चारों ओर से घेरा है 


हमसे पूछ रहा है संविधान,

“अमृत महोत्सव के मौसम में जाति, धर्म, भाषा, भूगोल निरपेक्ष कौन है?”

पूछ रहा है जहान,

“क्या पहलगाम आतंकी हमला 

अपने राजनीतिक फलितार्थ में 

पुलवामा का अगला संस्करण है?”


न्याय की गुहार लगतीं मृतात्माएँ कहती हैं 

कि हत्यारे ही नहीं, 

बल्कि उनके रक्षक भी मानवता के दुश्मन हैं

हमारी पीड़ा के प्रगीत शोक वचन हैं


हम निर्दोष पीड़ितों के परिवारजनों के दुःख में शामिल हैं

हम टूटे हुए निराश सिपाही हैं

हम मानवीय वेदना की गवाही हैं!


(©गोलेन्द्र पटेल /23-04-2025)

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

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Monday, 7 April 2025

क्या मायावती और चंद्रशेखर आजाद अंबेडकरवादी हैं?

जो बौद्ध नहीं हैं, वो अंबेडकरवादी नहीं हैं। 

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हम नगीना सांसद मा० श्री चंद्रशेखर आजाद जी को ही नहीं, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री, आयरन लेडी मा० सुश्री बहन मायावती जी को भी अंबेडकरवादी नहीं मानते हैं, क्योंकि ये दोनों हिंदू हैं पूरी तरह बौद्ध नहीं! क्या बहन जी ने कभी किसी सार्वजनिक मंच से विश्वरत्न बोधिसत्व बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की 22 प्रतिज्ञाओं का वचन किया है? क्या बहन जी ने कभी कहा है कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, उनमें कोई आस्था नहीं रखूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगी और न ही मैं उनकी पूजा करूँगी। मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करती हूँ।... क्या किसी सार्वजनिक मंच से बहन जी ने मान्यवर कांशीराम जी की प्रतिज्ञाओं का वाचन किया है?....बहन जी आदरणीय नेता हैं अनुकरणीय नहीं। यही बात चंद्रशेखर आजाद जी पर भी लागू होती है, क्या चंद्रशेखर आजाद जी ने बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर की ये बातें किसी सार्वजनिक मंच से कहे हैं कि “तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मन्दिर नहीं है, बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा व्यवसायी बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है। तीर्थयात्रा, व्रत, पूजा-पाठ व कर्मकांडों में कीमती समय बर्बाद मत करो। धर्मग्रन्थों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मन्दिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नहीं होगी। तुम्हारे गले में पड़ी तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नहीं दिलायेगी। काल्पनिक देवी-देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी भुखमरी दरिद्रता व गुलामी दूर नहीं होगी। अपने पुरखों की तरह तुम भी चिथडे मत लपेटो, दडबे जैसे घरों में मत रहो और इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर जान मत गँवाओं। भाग्य व ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद ही करना है। धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं और जो धर्म तुम्हें इन्सान नहीं समझता, वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है। जहाँ ऊँच-नीच की व्यवस्था है। वह धर्म नहीं, गुलाम बनाये रखने की साजिश है।” क्या आपने इस पर कभी विचार किया? आख़िर जो मीडिया मान्यवर कांशीराम जी को नहीं दिखाती थी, वो चंद्रशेखर आजाद जी को क्यों ख़ूब दिखा रही है?


निःसंदेह जो बौद्ध नहीं हैं, वो अंबेडकरवादी नहीं हैं। हमारी नज़र में कोई हिन्दू अंबेडकरवादी नहीं हो सकता है, क्योंकि बाबा साहब अंबेडकर हिन्दू काल्पनिक देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ थे!

—गोलेन्द्र ज्ञान 

क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?👉विस्तृत जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें :-

https://golendragyan.blogspot.com/2025/04/blog-post.html

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

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Wednesday, 2 April 2025

क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?

शीर्षक : क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं?

यह सवाल ख़ुद से है कि कहीं हमने बुद्ध, धम्म, संघ के शरण में जाने में जल्दबाज़ी तो नहीं की न? क्योंकि, बौद्ध धर्म अपनाने के संदर्भ में मार्गदाता पुरखे याद आ रहे हैं!

बाबा साहब डॉ॰ भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया और उनको महापरिनिर्वाण 6 दिसंबर, 1956 को प्राप्त हुआ। यानी, बाबा साहब ने लगभग 64-65 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाया।

पेरियार ललई सिंह यादव ने 1967 में लगभग 56 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाया और उनको परिनिर्वाण 07 फरवरी 1993 को प्राप्त हुआ।

सन 2002 में, मान्यवर कांशीराम जी ने 14 अक्टूबर 2006 को डॉक्टर अम्बेडकर के धर्म परिवर्तन की 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर बौद्ध धर्म ग्रहण करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी, लेकिन उनको परिनिर्वाण 9 अक्टूबर 2006 को प्राप्त हुआ। यानी कांशीराम लगभग 72 वर्ष की आयु में बौद्ध धर्म अपनाना चाहते थे।

यह पुरखों से तुलना नहीं, बल्कि उनसे संवाद की प्रक्रिया में ख़ुद से पूछा गया सवाल है कि कहीं हमने बुद्ध, धम्म, संघ के शरण में जाने में जल्दबाज़ी तो नहीं की न?

पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री बहन मायावती जी ने बौद्ध धर्म कब अपनाया? (बहन जी का जन्म भी हिंदू परिवार में हुआ है!)

उभरते हुए बहुजन नेता, युवाओं के चहेते नगीना सांसद मा० चंद्रशेखर आजाद जी ने इंटरव्यू एवं पॉडकास्ट में कहा है कि वे एक रविदसिया हिन्दू हैं!

अंत में एक और सवाल, क्या तथागत बुद्ध श्रीराम से बड़े वोट बैंक हैं? बुद्ध-अंबेडकर बहुजन राजनीति के केंद्र में ही नहीं, बल्कि जातंकवादियों की राजनीति के केंद्र में भी हैं।

—गोलेन्द्र ज्ञान 

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com


Thursday, 20 March 2025

समय का संताप || विश्व कविता दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें! || 21 March

 समय का संताप 

हालात की लात
परिस्थिति की मार
बेरोज़गारी की चोट
पीड़ा का प्रहार
शिक्षकों की ईर्ष्या
सहपाठियों का व्यंग्य
समय का संताप सह कर बड़ा हुआ है
मेरा कवि
इतना बड़ा हुआ है
कि अब संत कवियों को छोड़कर
अपने से किसी को बड़ा कवि मानता ही नहीं है
न वाल्मीकि को, न वेदव्यास को
न गुरु को, न गार्जियन को
न आचार्य को, न अभिभावक को
न मित्र को, न मार्गदर्शक को
न प्रेमिका को, न पथप्रदर्शिका को
किसी को भी नहीं!

मेरे कवि का दुःख ही उसका दीपक है
मेरा कवि मेरा प्रतिरूप है
उसी की कविता से
इस कोहरे में मेरे पास धूप है!

(®गोलेन्द्र पटेल / 21-03-2025)

21 मार्च : विश्व कविता दिवस की हार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनायें! 

संपर्क: गोलेन्द्र पटेल (पूर्व शिक्षार्थी, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।/जनपक्षधर्मी कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक)

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, तहसील-मुगलसराय, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

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युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन

युवा कवि-लेखक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चिंतक गोलेन्द्र पटेल के महत्त्वपूर्ण कथन :- 1. “तुम्हें कोई मोटिवेशनल कोटेशन कब तक प्रेरित करेगा, तु...