धम्म दीपोत्सव / धम्म दीपदानोत्सव / प्रज्ञात्मक प्रकाशोत्सव / बौद्ध धम्म दीपोत्सव पर्व : गोलेन्द्र पटेल
'धम्म दीपोत्सव' की हार्दिक शुभकामनाएं! नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स। बुद्धं सरणं गच्छामि। धम्मं सरणं गच्छामि। संघं सरणं गच्छामि। चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय लोकानुकंपाय अत्थाय हिताय सुखाय देव मनुस्सानं। -देसेथ भिक्खवे धम्मं आदिकल्याण मंझे कल्याणं- परियोसान कल्याणं सात्थं सव्यंजनं केवल परिपुन्नं परिसुद्धं ब्रह्मचरियं पकासेथ। [महावग्ग: : विनयपिटक] सवर्णवादी/ ब्राह्मणवादी बौद्ध भिक्खुओं का मानना है कि "धम्म दीपोत्सव" वैशाख पूर्णिमा या आषाढी पूर्णिमा या कार्तिक पूर्णिमा या अशोक धम्मविजय दसमी या 14 अप्रैल को मनाया जाना चाहिए, कार्तिक अमावस्या के दिन नहीं, क्योंकि इस दिन उनकी सजातियों की दीपावली है। बहरहाल, हमारा मानना है कि असली बौद्ध भिक्खुओं, भिक्खुनियों, उपासकों, उपासिकाओं को अपने उत्सव, महोत्सव, पर्व, त्योहार या किसी भी तरह की धम्मतिथि को हाइजै़क होने से बचाना चाहिए। कार्तिक अमावस्या के दिन ही धम्म दीपोत्सव / धम्म दीपदानोत्सव / प्रज्ञात्मक प्रकाशोत्सव मनाना चाहिए, क्योंकि ज़्यादातर इस दिन आपके लोग ही यानी बहुजन समाज के लोग ही अंधविश्वास क