**भाप और धुआँ**
भाप से कहा धुआँ
आप नदी सरोवर कुआँ
समुद्र में उबलती धूपादहन
उठ सुबह से शाम तक गहन
चिंतन मनन कर गगन में
आते हो।
जब सृष्टि में सब
सो रहे होते हैं
तब तुम भी शयनसैया पर
जाते हो।
और
मैं प्रत्येक क्षण चलता ही रहता हूँ
सड़क से ,चुल्हे से ,फैक्ट्री से
यहाँ तक की शिवभक्तों के चिलम से
नये मानव के हृदय में।
-गोलेन्द्र पटेल
भाप से कहा धुआँ
आप नदी सरोवर कुआँ
समुद्र में उबलती धूपादहन
उठ सुबह से शाम तक गहन
चिंतन मनन कर गगन में
आते हो।
जब सृष्टि में सब
सो रहे होते हैं
तब तुम भी शयनसैया पर
जाते हो।
और
मैं प्रत्येक क्षण चलता ही रहता हूँ
सड़क से ,चुल्हे से ,फैक्ट्री से
यहाँ तक की शिवभक्तों के चिलम से
नये मानव के हृदय में।
-गोलेन्द्र पटेल
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