Friday, 27 March 2020

आज बिमारी का जड़ दूषित जल है
जल है तो कल है ; जल ही जीवन है
एक पेड़ प्राण हैं ; पूज्य पर्वत वन हैं
जो देते हवा हैं ; वो निःशुल्क दवा है
वतन के तन का , भारत के मन का
प्यासी धरती  पुकार  रही चमन का
इंद्रदेव ले आओ जलधारा गगन का
एक कवि या पक्षी गीत गाता यही
जन वृक्ष काटों नहीं डाल छाटों नहीं।
-गोलेन्द्र पटेल
https://youtu.be/EbtIFgT8e1k

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