लेखक : गोलेन्द्र पटेल
नाटक: “लौह पुरुष – सरदार”
पात्र परिचय
- सरदार वल्लभभाई पटेल – भारत के लौह पुरुष, किसानों और राष्ट्र के एकीकरण के अदम्य नेता। कठोर परंतु न्यायप्रिय, शांत परंतु अडिग, लोहे से भी कठोर और पानी से भी सरल।
- झवेरबा (पत्नी) – ममतामयी, धैर्यशील, जीवन में जल्दी गुज़र जाने के बावजूद नाटक में उनकी स्मृति और आत्मिक उपस्थिति।
- मणिबेन पटेल (बेटी) – दृढ़ विचारों वाली, पिता की छाया में राजनीति और समाजसेवा का संकल्प लेने वाली नारी।
- दह्याभाई पटेल (बेटा) – सरल, व्यवसाय में रत, पिता की कठोर छवि से थोड़े दूरी पर किंतु स्नेह में बंधे।
- महात्मा गांधी – अहिंसा और सत्याग्रह के जनक, जिनके स्नेह और मार्गदर्शन से पटेल का राजनैतिक मार्ग प्रशस्त हुआ।
- जवाहरलाल नेहरू – आधुनिक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, विचारों में पटेल से कई बार मतभेद, परंतु राष्ट्रहित में साथी।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर – संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय और समानता के प्रखर योद्धा, जिनके साथ पटेल का वैचारिक संवाद।
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद – भारत के प्रथम राष्ट्रपति, सरल, धैर्यशील, पटेल के निकट सहयोगी।
- स्वतंत्रता सेनानी – सामूहिक पात्र; किसानों, मज़दूरों, नौजवानों और क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व।
- भारत (पात्र रूप में) – वेशभूषा में एक जीवंत भारत; कभी माँ, कभी शिशु, कभी योद्धा, कभी किसान, कभी घायल पर आशावान।
- वाचक – सूत्रधार; घटनाओं का संक्षेप, समय और संदर्भ बताने वाला।
गीत 1: “लौह पुरुष का जयगान”
• यह गीत नाटक के आरंभ में सामूहिक कोरस द्वारा गाया जाएगा।
• भारत पात्र मंच पर आएगा, सेनानी, किसान और जनता संग मिलकर सरदार का स्वागत गाएंगे।
कोरस (सभी मिलकर):
लौह पुरुष का जयगान, भारत की शान, भारत की जान,
एक ध्वज, एक पहचान – सरदार है, सरदार महान!
अंतरा 1 (स्वतंत्रता सेनानी):
खेड़ा की धरती गाती, बारडोली गूंज उठाती,
किसान का हर अश्रु बना, संग्राम की ललकार!
अन्याय के विरुद्ध खड़ा, सत्याग्रह का दीप जला,
भारत माँ की माटी में, लौह-पुरुष का संचार!
(कोरस दोहराव)
लौह पुरुष का जयगान, भारत की शान, भारत की जान…
अंतरा 2 (भारत पात्र):
रियासतें बिखरी हुईं, टूटी चीर मेरी,
पटेल ने सी दी धागों से, ममता गहरी-गहरी।
जूनागढ़ से हैदराबाद तक, खड़ा रहा अडिग,
भारत का मान बढ़ाने को, सरदार सदा प्रखर!
(कोरस दोहराव)
लौह पुरुष का जयगान, भारत की शान, भारत की जान…
अंतरा 3 (मणिबेन और सेनानी):
बेटी का संकल्प यही, पिता का सपना पूरा हो,
जनता के जीवन में अब, न्याय और उजियारा हो।
त्याग, तपस्या, बलिदान,
भारत का लौह-निर्माण!
(अंत में कोरस सब मिलकर ऊँचे स्वर में गाएँ)
लौह पुरुष का जयगान,
भारत की शान, भारत की जान!
एक ध्वज, एक पहचान – सरदार है, सरदार महान!!
गीत 2: “राष्ट्र एकता का बिगुल”
• यह गीत नाटक के मध्य में, रियासतों के एकीकरण दृश्य में गाया जाएगा।
• सरदार पटेल, सेनानी और भारत मिलकर इसे घोषणापत्र की तरह गाएँगे।
कोरस (सभी मिलकर):
एक भारत, श्रेष्ठ भारत,
हम सबका संकल्प भारत!
सरदार के नेतृत्व में,
अविभाज्य अखंड भारत!!
अंतरा 1 (सरदार पटेल):
नहीं बँटेगा धर्म-पंथ से, नहीं झुकेगा लोभ से,
रियासतों की बिसात पर, चलेगा राष्ट्र-स्वरूप से।
न झुकेंगे हम किसी के, न टूटेगा ये वतन,
भारत माता के लिए, अर्पित हर जीवन!
(कोरस दोहराव)
एक भारत, श्रेष्ठ भारत, हम सबका संकल्प भारत!
अंतरा 2 (भारत):
मिट्टी से आवाज़ उठी, गूँजा जन-जन नारा,
“सरदार हमारा पथप्रदर्शक, अब न होगा बँटवारा!”
सिंधु से गंगा तक की, एक ध्वजा लहराए,
जन-मन-गण का स्वर, अब गगन चीर जाए!
(कोरस दोहराव)
एक भारत, श्रेष्ठ भारत, हम सबका संकल्प भारत!
अंतरा 3 (अंबेडकर और सेनानी):
समानता का दीप जले, न्याय का उजियारा,
जाति-पांति का बंधन टूटे, मिटे अँधियारा।
आज़ाद भारत बोलेगा, लोहे-सा अटल स्वर,
भूख और भय से मुक्त, होगा यह देश अमर!
(अंतिम कोरस – सब मिलकर ऊँचे स्वर में, मंच पर झंडा फहराते हुए)
एक भारत, श्रेष्ठ भारत,
हम सबका संकल्प भारत!
सरदार के नेतृत्व में,
अविभाज्य अखंड भारत!!
नाटक प्रारंभ : “लौह पुरुष – सरदार”
अंक 1 : बीज और संघर्ष
दृश्य 1 : खेड़ा का गाँव – सरदार का बचपन
(मंच पर किसान, हल, बैल। वाचक आगे आता है।)
वाचक :
यह गुजरात की धरती है। करमसद गाँव।
यहाँ जन्मा वह बालक, जो आगे चलकर भारत के इतिहास का लौह-पुरुष कहलाया।
नाम – वल्लभभाई झवेरभाई पटेल।
(झवेरभाई और लाडबा किसान के रूप में मंच पर। छोटा वल्लभ हाथ में किताब और हल दोनों सँभालता है।)
लाडबा : बेटा, पढ़ाई भी ज़रूरी है और खेत भी।
छोटा वल्लभ : माँ, मैं किताब से न्याय सीखूँगा और हल से श्रम। यही भारत का भविष्य है।
(धीमे से ढोलक, पृष्ठभूमि में किसानों का गीत)
दृश्य 2 : खेड़ा सत्याग्रह (1918)
(किसान कर लगान न चुका पाने की व्यथा कह रहे। अंग्रेज अफसर कठोर आदेश दे रहा।)
किसान : सरकार ने अकाल में भी लगान माँगा। हम कैसे दें?
सरदार (युवा रूप में प्रवेश करते हुए) :
“जब किसान टूटेगा, तो भारत टूटेगा।
हम न देंगे एक पैसा लगान!”
(जनसमूह जयकार करता है – “सरदार पटेल की जय!”)
वाचक :
यहीं से वल्लभभाई बने “सरदार”।
(गीत 1 “लौह पुरुष का जयगान” का मंचन, कोरस में सब गाते हैं।)
अंक 2 : स्वतंत्रता और राजनीति
दृश्य 1 : गाँधी और पटेल
(गाँधी और पटेल आमने-सामने, पृष्ठभूमि में चरखा।)
गाँधी :
वल्लभ, तुम्हारी दृढ़ता लोहे जैसी है।
पर याद रखो, हमारे हथियार हैं सत्य और अहिंसा।
पटेल :
बापू, अहिंसा हमारी आत्मा है।
लेकिन दृढ़ता हमारी ढाल।
भारत को मुक्त करने के लिए दोनों ज़रूरी हैं।
दृश्य 2 : बारडोली सत्याग्रह (1928)
(मंच पर स्त्रियाँ, किसान, नौजवान। अंग्रेज अफसर आदेश पढ़ता है।)
अफसर :
“लगान दुगना होगा। विरोध किया तो जेल।”
मणिबेन (भीड़ से निकलकर) :
नहीं देंगे लगान!
हमारे पास पेट भरने को अन्न नहीं, और तुम खून चूसना चाहते हो?
पटेल (गर्जन स्वर में) :
“बारडोली की मिट्टी से जो आवाज़ उठी है,
वह साम्राज्य की नींव हिला देगी!”
(जनता मिलकर नारा लगाती है – “सरदार! सरदार!”)
दृश्य 3 : गाँधी, नेहरू और पटेल की बहस
(तीनों मंच पर। पृष्ठभूमि में भारत का नक्शा टंगा हुआ।)
नेहरू :
भारत को आधुनिक, वैज्ञानिक, समाजवादी दिशा चाहिए।
पटेल :
भारत को पहले अखंड होना चाहिए।
बिखरा हुआ भारत किसी विज्ञान या समाजवाद का बोझ नहीं उठा सकता।
गाँधी :
तुम दोनों सही हो। पर पहले आज़ादी ज़रूरी है।
(तनाव का संगीत, मंच पर रोशनी धुंधली।)
अंक 3 : रियासतों का एकीकरण
दृश्य 1 : स्वतंत्र भारत – 1947
(वाचक आगे आता है, मंच पर नक्शा जिसमें रियासतें अलग-अलग दिखाई जाती हैं।)
वाचक :
आज़ादी मिली, पर भारत अभी टूटा हुआ था।
562 रियासतें – हर राजा अपना ताज पहने खड़ा।
इन सबको एक करने का भार सरदार पर पड़ा।
(सरदार मंच पर आते हैं, कठोर स्वर में)
पटेल :
“भारत एक है, रहेगा।
जो नहीं मानेगा,
वह इतिहास के गर्त में जाएगा!”
(गीत 2 “राष्ट्र एकता का बिगुल” – कोरस और सरदार के साथ सब गाते हैं। मंच पर नक्शा जुड़ने लगता है।)
दृश्य 2 : अंबेडकर और पटेल संवाद
(संविधान सभा का मंच।)
अंबेडकर :
जाति का जहर न मिटा, तो यह आज़ादी अधूरी है।
समानता ही सच्चा राष्ट्र है।
पटेल :
सही कहा बाबा साहेब।
मैं अखंडता सँभालूँगा,
आप न्याय और समानता की नींव रखिए।
(दोनों हाथ मिलाते हैं। जनता तालियाँ बजाती है।)
अंक 4 : विरासत और लौह पुरुष का अमरत्व
दृश्य 1 : पटेल का अंतिम समय (1950)
(मंच पर मंद रोशनी, मणिबेन और दह्याभाई पास बैठे हैं।)
पटेल (धीरे स्वर में) :
मणि… दह्या…
मेरा शरीर मिट्टी है, पर भारत अमर है।
याद रखना – “भारत टूटेगा नहीं, बिखरेगा नहीं।”
(पटेल आँखें मूँदते हैं। मंच पर मौन। पृष्ठभूमि में ढोलक और शंख।)
दृश्य 2 : भारत का उद्गार
(भारत पात्र मंच पर आता है, सैनिक, किसान, स्त्रियाँ और युवा उसके चारों ओर।)
भारत (गूँजते स्वर में):
“यह लौह पुरुष अमर रहेगा।
हर खेत, हर गाँव, हर शहर में,
उसकी दृढ़ता, उसकी आग,
उसकी एकता की गूंज गूँजती रहेगी!”
(गीत 1 और गीत 2 का संयुक्त अंतिम कोरस, सब पात्र मिलकर गाते हैं।)
सभी पात्र (कोरस):
एक भारत, श्रेष्ठ भारत,
हम सबका संकल्प भारत!
सरदार के नेतृत्व में,
अविभाज्य अखंड भारत!!
(झंडा फहरता है, रोशनी उज्ज्वल, परदा गिरता है।)
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