Friday, 27 March 2020

स्त्री (नारी , औरत , महिला , माँ ,माता , पत्नी , बेटी या पुत्री , नायिका, प्रेमिका...) // स्त्री - कविता // स्त्री पाठ





स्त्री!

तू औरत है

या नारी

या बेटी

या पत्नी

या माँ।
तू कौन?

क्या कामायनी का श्रद्धा?

या जायसी की पद्मिनी

या तुलसी का सीता

या कबीर का बहुरिया रूप

या सृष्टि का आद्यनायिका।
सच कहो ना

कि तुम्हीं परिवर्तन हो

बेटी से पत्नी से माँ में

और आद्यौरत से नारी से नारायणी में

या स्त्री से मर्द में।
सड़क पर जब देखता हूँ

आँचल की कमी

तब याद आती है

मुझे मेरी पत्नी।
जो कहती है आजकल

आर्य जब स्वर्णिम अक्षरों में

लिखें जा रहे हैं इतिहास

तब तुम्हारे रचनाकारों ने

यूहीं नहीं किया मेरा उपहास।
अमर कागज़ के स्याही को

शर्मिंदा करने पहुँच गई

लज्जा का ताज त्याग कर

अपने कर्मों के लेखा जोखा देने लगी जब

तब मेरे बच्चा का भूख स्तन की ओर ताका।
और मैं लाचार हो गई एक आँचल की कमी से

उसे डिब्बे का दूध पिलाया अन्तःमन में रोते रोते

मेरे इस रूदन के दर्द को एक नवयुवक कवि ने 

कविता में जगह दी अन्ततः मैंने अपने सपने

देखी सभ्यता व संस्कृति का चादर ओढ़कर
नयी कविता के नयी सरिता में

स्नान कर रही हैं अनेक स्त्रियाँ

जिसे देख आसमान का पंक्षी

पास आना चाहते हैं काव्यनदी के

और स्वर देना चाहते हैं सौंदर्य को।
कभी कभी कल्पना में प्रकृति

प्रेमिका पत्नी पुत्री और माँ का

रूप धर सीधे सीधे शब्दों के सीढ़ी से

यथार्थ के धरातल पर उतर आती है

जिसे देख दूनिया कहती है : वाह क्या अजूबा हैं नारी

क्या अद्भुत है शक्ति।।

-गोलेन्द्र पटेल

रचना : 10/3/2020


1 comment:

जनविमुख व्यवस्था के प्रति गहरे असंतोष के कवि हैं संतोष पटेल

  जनविमुख व्यवस्था के प्रति गहरे असंतोष के कवि हैं संतोष पटेल  साहित्य वह कला है, जो मानव अनुभव, भावनाओं, विचारों और जीवन के विभिन्न पहलुओं ...