Friday, 27 March 2020

*माता सरस्वती का वंदना*

आज का उत्सव उत्साह
वीणा का पीड़ा अथाह
विद्या माता का आह?
देख सून राही का राह
कागज़-कलम का चाह
सिसकता रोता आगाह
कवि के संग एकांत पर्वत पर
बहता हुआ आँसू धीरे धीरे
तर्क के तराज़ू पर तौल तय
किया है निम्नलिखित तथ्य
चंदा से चढ़ा सुर्ती-चूना-पान
सोपाणी सिगरेट बीड़ी गाँजा-भाँग अश्लीलगान
अन्य नाद का प्रसाद।
उपरोक्त शोक का कारण।
लेकिन बौद्ध कहें तृष्णा
दिनचर्या में चतुर चोर
चित्तचक्षु चाहता चातुर्भद्र
पुरुषार्थ : धर्म ,अर्थ ,काम व मोक्ष
भक्ति प्रज्वलित प्रत्यक्ष या परोक्ष
परोसता शील-समाधि-प्रज्ञा पथ
और दृढ़ प्रतिज्ञा पुष्प पुण्य रथ
परन्तु पूजा के आड़़ में साड़
चर रहे हैं विद्यार्थियों के फ़सल
परीक्षार्थियों के समय संबल
भयावह स्थिति में आज
आनंद ही आनंद ले रहा समाज।
क्या कभी सूँघ पायेगा सत्यगंध?
खदकते चावल या उबलते खाड़ में
हे साहित्य! हे संस्कार!
हे आदित्य! हे संसार!
हे सरस्वती सत्यसार!
हे मिट्टी के चूल्हे को धूप सोखाने वाली!
हे ज्ञान के भूखों का भोजन पकाने वाली!
हे शब्दों का लिट्टी-चोखा खाने वाली!
हे माता मुधर गीत संगीत गाने वाली!

सृष्टि में पुनः सद्बुद्धि बुद्धज्ञान दे!
दृष्टि में पुनः दिव्यधर्म धर्यध्यान दे!
वृष्टि में पुनः आकाशामृत दान दे!
-गोलेन्द्र पटेल
रचना : 30-01-2020

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