**निटोरा**
निटोरा का लासा
शब्द से प्रारंभ हो
सभ्यता की यात्रा करता है
जड़ से चेतन तक कविता में।
बबूल लसम लक्ष्य
लासना चाहता कवि की कागज़
विकर्षण के विरुद्ध समाज में
जैसे अंधेरे के विरुद्ध प्रकाश है सविता में।
निटोरा निब से कहा कि
आप खुले आँखों में नींद को देख
साहित्यिक कागज़ पर चलते चलते
दिल्ली को दिव्यचश्मा दे ही आते हो
यथार्थ के धरातल को देखने हेतु
मैं(निटोरा) सूख चुका हूँ सावधान!
जो नर रेगिस्तान में पार लगाया था
आज फँसा गया राजनीतिसरिता में।।
-युवा कवि गोलेन्द्र पटेल
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