Saturday, 18 April 2020

देवेन्द्र सुरजन : गोलेन्द्र पटेल


देवेन्द्र सुरजन
फर्जी खबरों का दुश्चक्र भारत को कोरोना से बड़ा नुकसान पहुंचाने जा रहा है. समाज का ​अपने ही लोगों के प्रति अविश्वास से भर जाना किसी महामारी में नहीं होता. कोरोना के बहाने भारत के नफरत के कारोबारियों ने अपना कारोबार आपात स्तर पर तेज कर दिया है.
रोज दो एक लेख लिखने के बावजूद मुझे लगता है कि मैं इसके खतरे को जितना समझ पा रहा हूं, उतना कह नहीं पा रहा हूं.
जब हम लिखना चाह रहे थे कि वायरल हुए दर्जनों वीडियो झूठे हैं, तब तक एक समुदाय के गरीब लोगों पर हमलों की तमाम खबरें आ गईं. पहाड़ से लेकर दक्षिणी राज्य कर्नाटक तक में यह मानकर हमले हुए कि मुसलमान कोराना फैला रहा है. हमारे झूठ के निरंकुश बाजार ने मुसलमानों को कोरोना का आविष्कारक बना डाला.
योगेंद्र यादव के स्वराज अभियान से जुड़े तबरेज और उनकी अम्मी बस्तियों में राशन बांट रहे थे. लोगों ने उन्हें ऐसा करने से रोका. कहा गया, "हिंदुओ को खाना मत बांटो, अपने लोगों को बांटो". इसके बाद भीड़ ने उन्हें पीटा. तबरेज़ के दाहिने हाथ और सिर पर टांके लगाए गए.
कर्नाटक के एक गांव में मछुवारों को पीटा गया. वे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहे हैं. भीड़ का आरोप है कि तुम्हारी वजह से कोरोना फैल रहा है. इन मछुआरों में हिंदू भी थे, मुसलमान भी.
हल्द्वानी के जावेद की दुकान हटवा दी गई, क्योंकि वे मुसलमान हैं. देश भर में लाखों दुकारदार जरूरी चीजों की सप्लाई कर रहे हैं, लेकिन जावेद से खतरा पैदा हो गया. दिल्ली में एक जगह से खबर आई कि मुसलमान विक्रेता को मुहल्ले में घुसने नहीं देना है.
जो ऐसा कर रहे हैं, उनकी गलती नहीं है. उन्हें ऐसा बताया गया है. मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये.
मीडिया में खबर छपती है कि एक आइसोलेशन सेंटर में तब्लीगी जमात के लोग नंगे घूम रहे हैं और अभद्रता कर रहे हैं. इसी खबर के आधार पर, खून से लथपथ एक नंगे आदमी का वीडियो वायरल होता है. दावा किया जाता है कि देखिए, कोरेंटाइन सेंटर में तबलीगी ने आतंक फैला रखा है. वीडियो देखकर कमजोर दिल वाला सटक सकता है.
आल्टन्यूज इस वीडियो का सोर्स पता करता है. वीडियो पाकिस्तान से कराची का है. जहां एक व्यक्ति ऐसी अवस्था में मस्जिद में घुसा था. यह वीडियो  यूट्यूब पर अगस्त 2019 में अपलोड हुआ था, तब से इंटरनेट पर मौजूद है.
अमर उजाला और पत्रिका जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने खबर छापी सहारनपुर में तब्लीगियों ने मांसाहार न मिलने पर खाना फेंक दिया, खुले में शौच की, वगैरह वगैरह. इसे चैनलों ने भी चलाया. सहारनपुर पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी किया कि मीडिया ने जो खबर प्रकाशित की है, हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ है. यह खबर फर्जी है.
पिछले दो हफ्ते में ऐसे सैकड़ों उदाहरण आ चुके हैं. कुछ एक तो आपको दिखे ही होंगे. हमारी वॉल पर ही तमाम दिखे होंगे. अगर इन पर कोई अध्ययन प्रकाशित करवाना हो तो कई हजार पेज की कई किताबें बनेंगी. हमारे झूठ का संसार बहुत बड़ा हो चुका है.
हम किस दुष्चक्र में फंसते जा रहे हैं, इसका अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि हमारे केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह एक बड़े चैनल पर लॉकडाउन के बारे में कुछ डब्ल्यूएचओ का प्रोटोकॉल बताते हैं. मंत्री जी जो बता रहे हैं, वह एक फर्जी व्हाट्सएप फॉरवर्ड है. जब वे बता रहे हैं, उसके पहले आल्टन्यूज खबरें छाप चुका है कि फर्जी है, डब्ल्यूएचओ ने ऐसा कोई प्रोटोकॉल जारी नहीं किया है. यह व्हाट्सएप फॉरवर्ड कैंब्रिज के एक रिसर्च पर आधारित था, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन पर कुछ बातें थीं. लेकिन मंत्री जी ने अपनी सरकार से नहीं पूछा, अपने अधिकारियों ने नहीं पूछा, व्हाट्सएप पर डब्ल्यूएचओ का प्रोटोकॉल पढ़ लिया.
138 करोड़ लोगों की सरकार का मंत्री व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के फर्जीवाड़े के अथाह महासमंदर में कूद गया. बहुत संभावना है कि उनसे चूक हुई हो, लेकिन आप यह सोचिए कि मंत्री जैसे सुरक्षित पदों को फेक न्यूज ने अपने चंगुल में दबोच लिया है.
मसला यह नहीं है कि किसी जमाती ने ऐसा किया या नहीं, उनसे तो दो चार सिपाही लट्ठ बजाकर तुरंत निपट लिए होंगे. मसला यह है कि इन्हीं सैकड़ों फर्जी खबरों से हमारा मानस तैयार हो रहा है.
झूठी, दुर्भावनापूर्ण, सांप्रदायिक और विषैली सूचनाओं की रेत का एक बहुमंजिला महल है और हम सब उस पर चढ़ते जा रहे हैं....https://www.youtube.com/channel/UCcfTgcf0LR5be5x7pdqb5AA




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