**मैं कैसे बना दिव्यांग सेवक** *सारांश*
*2018 की बात है मुझे सेकंड NDA का पेपर इलाहाबाद में देना था, और अगले ही दिन मुझे बड़ी माता (अर्थात् मिज़ल्स : चेचक) हो गया लेकिन मैं नहीं माना रात्रि में तकरीबन 8:30 के ट्रेन से चला गया।सुबह के पेपर तक सम्पूर्ण देह में जलन ज्वालामुखी के भाँति दहक रहा था लेकिन2बजे के पेपर में आँखों के पुतलियों में भी दो दानें उभर गए।आँखें बंद ही नहीं होते थे, नयन नीर लगातार खौलता हुआ चेहरे को जला रहा था, बेचैनी चर्मोत्कर्ष पर थी, जो दवा ले गया था वो अपने अस्तित्व को भूल गए थे, कोई असर उनके भीतर नहीं रह गया था फिर भी हम उनकी सांत्वना के लिए खाता रहा।क्योंकि की किसी वरिष्ठ डॉक्टर का दिया था।जो भभूत माई भगवती का पिता ने दिलाया था उसे भी लगता रहा।मौत का पेपर किस तरह दिया यह यमराज भी देख रहे थे, NDA विभाग के परीक्षा केंद्र पर आए अधिकारियों ने भी दवा दिलाया पास के मेडकल से । मजे की बात यह है कि उसमें तीन दवा मेरे पास थी, एक नहीं।उसे खाने पर कुछ राहत हुआ मैं एक घंटे बाद पुनः मुघलसराय का टिकट ले ट्रेन पकड़ घर वापस चल पड़ा,ट्रेन पैसेंजर ट्रेन था सभी डिब्बे खाली जैसे लगा ईश्वर मेरे देह के दर्द का दर्शन कर मुझ पर अपना कृपा दृष्टि फेरी हो।जब सीट पर सोता था तो मिजल्स के दाने ऐसे लगते जैसे कोई सुई चुभो रहा हो।रास्ते में आते आते विन्ध्याचल स्टेशन पर ट्रेन रूकी मैं ब्याकुल हो ट्रेन से उतर गया, घूमने लगा।एक ट्रेन सुपरफास्ट कुछ समय में वहाँ आई ।मैं तुरंत उसमें चढ़ गया।लोग बैठने नहीं दे रहे थे।बहुत मुस्किल से पैखाने के पास बैठने का जगह मिला।जहाँ एक कोढ़ी व्यक्ति बैठा था, और उसकी बुढ़ी पत्नी साथ में।जो मुझसे पूछती है बेटवा कहा जात हया? मैं वत्सलवचन प्रश्न सून कहा माई घरे।हमार घर मुघलसराय के पास है।उन्होंने मेरे दर्द को अपने भीतर लेत हुए कहा कि बेटवा आपको माता जी हैं हे माई भगवती इस अबोध की रक्षा करी।हम शिघ्र ही अपने स्टेशन के पास ज्यूनाथपुर फाटक आ गए जहाँ सभी ट्रेन रूकती हैं चाहे वह कोई भी हो क्योंकि वहाँ से सभी अपने रूट धरती अर्थात् पटरियों की संख्या कम हैं एक जाए तो दूसरी आए।वहाँ से मेरे घर का दूरी मुघलसराय स्टेशन के समान था।रात १२बज रहे थे।मैं उतरा अपने पिता पर फोन किया फोन किसी ने नहीं उठाया कारण फोन साइलेंट में था।थक हार एक चाचा पर किया जो संजोग से रात में पंपूसेट से पानी भर रहे थे।उन्होंने कहा ठीक है वहीं फाटक के पास रूक मैं बाईक ले आ रहा हूँ।मैं आश्चर्य में था मेरे सामने एक भी फाटक नहीं था ।ट्रेन फाटक से एक किमी आगे जा रूकी थी।मैं ट्रेन के उस पार जा देखा छोटा स्टेशन था।जहाँ कुछ अनजान यात्री सोए थे।वहीं चाय बेचने वाले से पूछा चाचा फाटक कहाँ है बोले एक किमी पिछे ही था।मैं फाटक की तरफ जाने लगा।कुत्ते ऐसे भोंक रहे थे जैसे लगता था वे झुंड बना मेरा शिकार करना चाहते हैं वैसे ट्रेन के पटरियों पर घूमने वाले कुत्तों से आप परिचित होंगे।मैं जब फाटक पहूँचा सब कुछ बदल चुका था क्योंकि मैं उस रास्ते लगभग 6 वर्ष पूर्व गया था तब कोई पुल ओगर नहीं था अब है। चाचा भी उस छोटे स्टेशन को नहीं जनते थे।जहाँ मैं रूक था।अच्छा फाटक तक पहुंच तो गया वहाँ इतने लोग कट मेरे थे कि उनमें मेरे गाँव से मेरा एक प्राईमरी सहपाठी भी।जिसका स्मृति मन में भय का नाव तैयार कर उस पर स्वयं को बैठ तुफानी सागर का यात्रा कर रहा था।चाचा आ गए हमें उनके संग घर आए।माँ ने पानी गर्म किया।पिता ने ठंडा पानी दो बाल्टी लाए।हाथ-मुह धोया, ब्रस किया फ्रेश हुआ, कुछ खाया और गर्म पानी पी सोया।प्रातःकाल पिताजी ने एक माईजी छेकने वाले बाबा के पास ले गए वहाँ उन्हें मुझे देखाए फिर झाड़ फूक हुआ, फिर हम वापस घर आयें खाना-वाना खा पी 8बजे रामनगर(वाराणसी) गये एक बडे़ डॉक्टर के पास जो चार दिन का दवा दिए जो था "अंग्रेजी संजीवनी" अर्थात् रामबाण।उसे खाते ही एक घंटे में आराम मिला घर के लोग हमें नींम के पत्तियों से पंखा करते थे अर्थात् मुझमें जो माँ थी उसे।एक हफ्ते में मिजल्स ठीक हुआ पुर्णतः ठीक एक माह में लेकिन दगादियाँ आज भी हैं।मैं उन दिनों मुलायम बिस्तर पर पडे़ पडे़ यही सोचता था कि मेरे पिता एक विकलांग व्यक्ति हैं कहीं जायसी की तरह मेरी आँखें गई तो मेरे परिवार का क्या होगा?मैं बड़ा हूँ इसलिए परिवार का प्रथम हाथ पैर हूँ... मुझे महाकवि जायसी की तरह मत बनाना माँ एक आँख का काना, नहीं सूर जैसा...नहीं तो उनके काव्यगुण भी देना होगा मुझे । यही जाप था मेरा : *दिव्यांगसेवापरमोधर्मः** *मेरी जननी के दूःख हरो और मुझे भी हरने दो जगतजननी!*
★★★नोट★★★
प्रिय सहपाठी साथियों क्या आप CSE (UPSC) का परीक्षा देना चाहते हैं Hindi Optional से।दो दृष्टिबाधित बहन दिल्ली से Request की हैं हिन्दी Optional पेपर को रिकार्डिंग करने के लिए जिसमें हम मन्नू भंडारी के उपन्यास "महाभोज" को रिकार्डिंग कर चैनल पर भेज दिए हैं और भाषा खंड के कुछ हिस्सों को भी।अब "मैला आँचल" का रिकार्डिंग चालू है...यदि आप में से कोई भी एक सहपाठी साथी इस परीक्षा के लिए तैयार हुआ तो मैं आपको आत्मविश्वास दिलाता हूँ कि मैं खुद धीरे धीरे हिन्दी मिडियम के विद्यार्थियों के लिए वायस रिकार्डिंग आपके जरूरतों के अनुसार करता रहूंगा।इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र व राजनिति विज्ञान की कुल 26 NCERT के पुस्तकें किसी तरह एक मित्र के साझेदारी में खरीद लिया हूँ। उनका भी रिकार्डिंग हिंदी आपशनल के बाद शुरू करूँगा।जो भी विद्यार्थी इच्छुक हैं वे इस नंबर 8429249326 पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।
- **गोलेन्द्र पटेल (*बीएचयू बीए द्वितीय वर्ष** )*
प्रिय सहपाठी साथियों क्या आप CSE (UPSC) का परीक्षा देना चाहते हैं Hindi Optional से।दो दृष्टिबाधित बहन दिल्ली से Request की हैं हिन्दी Optional पेपर को रिकार्डिंग करने के लिए जिसमें हम मन्नू भंडारी के उपन्यास "महाभोज" को रिकार्डिंग कर चैनल पर भेज दिए हैं और भाषा खंड के कुछ हिस्सों को भी।अब "मैला आँचल" का रिकार्डिंग चालू है...यदि आप में से कोई भी एक सहपाठी साथी इस परीक्षा के लिए तैयार हुआ तो मैं आपको आत्मविश्वास दिलाता हूँ कि मैं खुद धीरे धीरे हिन्दी मिडियम के विद्यार्थियों के लिए वायस रिकार्डिंग आपके जरूरतों के अनुसार करता रहूंगा।इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र व राजनिति विज्ञान की कुल 26 NCERT के पुस्तकें किसी तरह एक मित्र के साझेदारी में खरीद लिया हूँ। उनका भी रिकार्डिंग हिंदी आपशनल के बाद शुरू करूँगा।जो भी विद्यार्थी इच्छुक हैं वे इस नंबर 8429249326 पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।
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