ये मेरे प्रिय सोनू भैय्या हैं, सहज, सरल, संवेदनशील, मृदुभाषी व हँसमुख व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। ये विद्यालय के दिनों में मेरे सीनियर रहे हैं। खैर, मैंने 24 साल में एक बार भी अपने से अपनी दाढ़ी नहीं बनायी है आगे भी नहीं बनाऊँगा। इन्हीं से मैं अपना बाल कटवाता हूँ। ये बाल को हर तरह के स्टाइल व डिज़ाइन में काटते हैं। सोनू भइया को समर्पित निम्नलिखित कविता पढ़ें :-
नाऊन
मैंने सोचा—
‘नाउन’ एक ऐसी ‘संज्ञा’ है
जो समाज को सभ्यता की ओर उन्मुख करती है
फिर सोचा—
‘नाउन’ के ‘उ’ का दीर्घीकरण करना
ब्लेड से हमारी पशुता को कुतरना है
जहाँ कंघी और क़ैंची के बीच बाल का हाल
एक नाई समझता है
लेकिन वह क्या करे, उसे तो हमें सभ्य बनाना है न!
ईश्वर यदि कहीं झुकते हैं,
तो इनके यहाँ ही!
©गोलेन्द्र पटेल
रचना : 17-05-2023
कवि : गोलेन्द्र पटेल
संपर्क :डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
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