Friday, 26 May 2023

ऑक्सफोर्ड के आँसू / नालंदा पर नज़र / गोलेन्द्र पटेल

 


ऑक्सफोर्ड के आँसू


चूहो!

गिद्धों के गीत बाज़ बाँच रहे हैं

ऐसे में मुर्दा मौन के कौन को सुनना

बुरा तो है


नालंदा के मरसिया में

तक्षशिला की तकलीफ़

विक्रमशीला से कम नहीं है

और वल्लभी की पुष्पगिरी से...!


जहाँ एक आचार्य मस्त है

दूसरा पस्त

तीसरा अस्त हो चुका है

चौथा व्यस्त है

ऐसे वक्त में समस्त शिक्षार्थिगण उल्लुओं की आवाज़ें 

और गीदड़ों की हुआँ हुआँ सुन रहे हैं

और कुत्ते-बिल्लियों का प्रलाप भी!


खैर, एक पैर पर

ऑक्सफोर्ड के आँसू को पढ़ना

बुरा तो है


बजबजाती हुई बद्दुआओं की बत्तियाँ जल रही हैं

शेर और भेड़िए के पेट में हिरण और भैंस

की चीख उनकी भूख शांत कर रही है


साँप ज्ञान के अवशेषों पर

इंतज़ाररत है

उस पर्यटक का जो मनुष्यता का मुसाफ़िर है

वह जीभ पर डँसने की कला में 

माहिर है

उसकी फुफकार को सीने पर झेलना

बुरा तो है


'शोकमग्न' और शोक-'मगन' के बीच

नीचता-नफ़रत-निंदा की नागिन ख़ुश है

शिक्षा-व्यवस्था में इनका नाम

उरुस है


यह परिसर में उड़ती हुई उम्मीद की चिड़िया

का थरथराते चोंचों से शांतिपाठ है

इसे सुनना उनके लिए

बुरा तो है!!


(©गोलेन्द्र पटेल  / 13-04-2023)



नालंदा पर नज़र


आपको जानकर हैरानी होगी,

मुझे चंद्रगुप्त मौर्य ने बताया है

इतिहासकार इतिहास में एक सत्य लिखना भूल गये हैं

वह यह कि नालंदा में चाणक्य जब विद्यार्थी थे

तब वहाँ के आचार्यों की बात आपस में तनिक भी नहीं बनती थी 

लेकिन चाणक्य यह ज़रूर सोचते थे कि इनकी आपस में छनती है

पर धीरे-धीरे सब स्पष्ट हो गया


चाणक्य अक्सर अपने साथियों से कहा करते थे

यह शिक्षालय नहीं, जंगल है

यहाँ हर शिक्षार्थी हिरण है

और हर शिक्षक शेर

शब्दों में हेर-फेर हो सकता है, पर; भाव वही है

जो मुझे चंद्रगुप्त मौर्य ने बताया है


चाणक्य, आख़िर चाणक्य थे

च्युत दोपायों को चील समझ कर चाप देते थे

गिद्धों पर भी अपनी गुलेल से 

दो-चार सुलगते हुए शब्दों को दाग देते थे


उनकी बुद्धि की बंदूक में गोली नहीं,

आग भरी होती थी

ये सब जंगलराज के महाहिंसक महाराजाधिराज जानते थे


चाणक्य कनफुँकवों की कुटनीति से परिचित थे

क्योंकि उनके गुरु की नज़र पूरे नालंदा पर थी

जो भेड़ियों की भाषा ही नहीं,

कुत्तों के भोंकने तक का अर्थ उन्हें पहले ही समझा देते थे


उनके गुरु नालंदा के आँगन के महावृक्ष थे!



(©गोलेन्द्र पटेल / रचना : 27-05-2023)

संपर्क :

डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।

पिन कोड : 221009

व्हाट्सएप नं. : 8429249326

ईमेल : corojivi@gmail.com


No comments:

Post a Comment

क्या मायावती और चंद्रशेखर आजाद अंबेडकरवादी हैं?

जो बौद्ध नहीं हैं, वो अंबेडकरवादी नहीं हैं।  __________________________________________ हम नगीना सांसद मा० श्री चंद्रशेखर आजाद जी को ही नहीं...