कोरोजयी वरिष्ठ कवि शंभुनाथ
१.
भूख में सपने बहुत आते हैं -1
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भूख का नामोनिशान नहीं होता
विज्ञापनों के संसार में
मॉल में भी वह चर्चा के बाहर है
कंपनियों के व्यापार कोश में नहीं है यह शब्द
बाहर है कैफे से संसद से
शिखर वार्ताओं से भी पूरी तरह बाहर
भूख फैल रही है शहर - शहर
भूख में फैल रहा है भय का आकाश
भटकाती है भूख प्रेतात्मा- सी
इस दुस्समय में
भूख का न है कोई रंग न कोई स्वाद
भूख का नहीं है अपना कोई देश
वह कहीं भी हो सकती है
कहीं शर्म और कहीं साहस की पोशाक में
मुश्किल है
भूख में सपने बहुत आते हैं!
भूख में
लोग बताए जाने लगते हैं बलशाली
निकलती हड्डियों के बीच भी
क्योंकि ये होती हैं दधीचि की हड्डियां
जिनसे बनती हैं टैंक-भेदक मिसाइलें
आसमान में गड़गड़ाते हैं युद्धक विमान
फौजें चढ़ती हैं सरहदों पर
कभी सभ्यता के नाम पर
कभी लोकतंत्र के लिए
कभी अपनी जनता को रखकर बंधनों में
कहती हैं अपने को जनमुक्ति की फौजें
देशों के भद्र नागरिक शांत हो जाते हैं
जब टीवी से लगातार घोषणा होती है-
सरहद पर युद्ध है
युद्ध बढ़ा देता है भूख
भूख में सपने बहुत आते हैं !
२.
तूफान में पेड़
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पेड़ उखड़ते हैं अंधड़- पानी में
फिर भी करते हैं जीवन का नृत्य
प्रेम के उल्लास में झूम- झूमकर
तेज हवाओं को सुनाते हैं अपना अंतिम गान
पेड़ निर्भय होते हैं
एक- एक पत्ते के साथ डटे होते हैं
योद्धा की तरह विपदाओं के सामने
बचाते हैं पहाड़ों, गाँवों, नगरों को
साबकुछ झेल लेते हैं अपने ऊपर
पेड़ आपस में नहीं लड़ते
नहीं फैलाते घृणा
पेड़ नहीं लेते घूस
नहीं छोड़ते किसी को अकेला
पेड़ देते हैं साथ जीवन के बाद भी
होते हैं पुरखों के साक्षी
पेड़ जब जा रहे होते हैं
मशीन से कटे-छंटे, लॉरिओं पर
बिना पत्तियों और डालियों के
छोड़े जा रहे होते हैं अपनी विरासत
चिड़ियों की नींद में
राहगीरों की राहत में
प्रेमी युगल की गुफ़्तगू में
छाया में धमाचौकड़ी मचाते
बच्चों की खिलखिलाहट में
खाली की गई जगह पर एक आवाज रखकर
इस तरह पेड़
अपनी बिरादरी से चुपचाप जा रहे होते हैं
पेड़ जा रहे होते हैं अपनी हरी दुनिया छोड़
सूरज के सात रंगों से दूर
जल से बहुत- बहुत दूर
भयंकर हवाओं के
मरण-त्योहार में भी
भरपूर नाच-गा कर जीवन का गीत !
(बंगाल के एम्फान तूफान के संदर्भ में )
©डॉ.शंभुनाथ
कवि परिचय :-
नाम : शंभुनाथ
{वरिष्ठ कवि , आलोचक , आचार्य व संपादक}
पूर्व-प्रोफेसर , कोलकाता विश्वविद्यालय
निदेशक : भारतीय भाषा परिषद
संपादक : "वागर्थ" मासिक पत्रिका
रचनाएँ :-
सम्मान :-
संपादक परिचय :-
नाम : गोलेन्द्र पटेल
{युवा कवि , दिव्यांग सेवक ,स्नातक विद्यार्थी ~ बीएचयू}
संपर्क सूत्र :-
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