*"कोरोना" ने गाँव के दुकानदारों की कमाई बढ़ा दी...*
*अब "हंता" जो चूहों से फैल रहा है जनता को जन्नत दिखा रहा है। हे ईश्वर अल्लाह खुदा...! ये कब खत्म होगा?😢 😭*
आज एक रुपये की एक मर्चा
कैसे चलेगा मजदूरों की खर्चा
जो खुले गाँव में दूकान हैं अब
मूर्गा मुर्गी सुर्गी के भाव में सब
लेहसुन प्याज़ टमाटर..को रब
बेज रहे हैं, कोरोना आया जब
शहर से गाँव में "कर्ता" के साथ
घर वाले प्यार से मिलाया हाथ
सभी सदस्य हो गए रोगी नाथ
रात में खबर आई
भाई नया वाइरस "हंता"
जनता का हर रहा है प्राण
"कोरोना" का जनक चमगादड़
और मगरमच्छ हैं या कहूँ वुहान
जो भारत के घरों में नहीं रहता
पर "हंता" फैल रहा है चूहों से
जनता हो जाना सावधान....
छींक खाँसी सरदर्द जुकाम बुख़ार
साँस फूलना बदनदर्द और दो चार
यही सामान्य लक्षण कोरोना का
हंता के भी उपर्युक्त ही लक्षण
फेफड़ा-गुर्दा में वाइरसगण
धीरे धीरे छेद कर देते हैं
ब्लड प्रेशर बढ़ता झटका लगता
धडाम से गिरता एक मानव रोगी....
*-गोलेन्द्र पटेल*
*बीएचयू परिवार*
*#हांटावायरस : नाहक अकुलाहट और भय से बचिए।*
*चीन से कुछ ख़बरें एक दूसरे विषाणु हांटावायरस-संक्रमण की आ रही हैं। एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है और तीस से अधिक संक्रमण से ग्रस्त पाये गये हैं। सोशल मीडिया पर इस ख़बर से --- ज़ाहिर है , परेशान लोगों के अकुलाहट और बेचैनी बढ़नी ही थी।*
*हांटावायरस कोई एक विषाणु नहीं है , अनेक विषाणुओं का एक समूह है। चूहों को ये विषाणु संक्रमित करते हैं , पर उनमें रोग उत्पन्न नहीं करते। ऐसा विज्ञान का मानना है कि ये विषाणु चूहों की प्रजातियों के साथ ही लाखों सालों से विकसित होते रहे हैं : यह एक क़िस्म का कोइवॉल्यूशन है। एक ऐसा साहचर्य जिसमें दोनों एक-साथ बिना किसी को हानि पहुँचाए रहा करते हैं।*
*किन्तु इन संक्रमित चूहों के मल-मूत्र या लार से सम्पर्क में आने से मनुष्य में ये हांटावायरस पहुँच सकते हैं। शरीर के उनके भीतरी अंगों में इनके कारण दुष्प्रभाव पैदा हो सकते हैं। फेफड़ों व गुर्दों को ये विषाणु अधिक प्रभावित करते हैं : हांटावायरस हेमरेजिक फ़ीवर विथ रीनल सिंड्रोम एवं हांटावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम इन विषाणुओं के दो प्रमुख रोग-प्रारूप हैं। ये बीमारियाँ विरली हैं , किन्तु इनके कारण मरीज़ों की मृत्यु भी होती गयी है।*
*हांटावायरस-रोगों का संक्रमण एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में होना बहुत विरल है। ऐसा न के बराबर देखा गया है। ऐसे में इन विषाणुओं का संक्रमण तभी सम्भव है , जब कोई मनुष्य किसी संक्रमित चूहे के मल , मूत्र या लार को सूँघ कर फेफड़ों में प्रविष्ट करा ले। चूहों के काटने , संक्रमित चूहों के मल-मूत्र-लार से युक्त किसी वस्तु को छूने अथवा ऐसा संक्रमित भोजन खाने से भी इन विषाणु-रोगों का होना पाया गया है।*
*बुख़ार , बदनदर्द , खाँसी , साँस फूलना जैसे लक्षणों वाले इन रोगों के कारण मरीज़ों में ब्लड प्रेशर का गिरना , शॉक और गुर्दों का फ़ेल होना पाया जा सकता है। हांटावायरस हेमरेजिक बुख़ारों की मृत्यु दर तीस प्रतिशत से भी ऊपर पायी जा सकती है।*
*हांटावायरस-सम्बन्धित संक्रमणों की मनुष्य-से-मनुष्य में पहुँचने की आशंका न के बराबर है। इसलिए वर्तमान कठिन समय में चीन में पुष्ट हुए कुछ मामलों के आधार पर यहाँ जनता को घबराये बिना कोरोना-विषाणु-सम्बन्धित पैंडेमिक के लिए अपने रोकथाम के उपायों पर पूरा अमल करते रहना चाहिए......*
*बीएचयू ने बनाई निम्न फिल्म-*https://www.facebook.com/2494193190655065/posts/3624299540977752/?sfnsn=wiwspmo&extid=wjStZKDc3hJn5QNL&d=n&vh=e
*अफवाहों से बचें : बीएचयू परिवार Whatsapp 8429249326*
*अब "हंता" जो चूहों से फैल रहा है जनता को जन्नत दिखा रहा है। हे ईश्वर अल्लाह खुदा...! ये कब खत्म होगा?😢 😭*
आज एक रुपये की एक मर्चा
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मूर्गा मुर्गी सुर्गी के भाव में सब
लेहसुन प्याज़ टमाटर..को रब
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सभी सदस्य हो गए रोगी नाथ
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जनता का हर रहा है प्राण
"कोरोना" का जनक चमगादड़
और मगरमच्छ हैं या कहूँ वुहान
जो भारत के घरों में नहीं रहता
पर "हंता" फैल रहा है चूहों से
जनता हो जाना सावधान....
छींक खाँसी सरदर्द जुकाम बुख़ार
साँस फूलना बदनदर्द और दो चार
यही सामान्य लक्षण कोरोना का
हंता के भी उपर्युक्त ही लक्षण
फेफड़ा-गुर्दा में वाइरसगण
धीरे धीरे छेद कर देते हैं
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*-गोलेन्द्र पटेल*
*बीएचयू परिवार*
*#हांटावायरस : नाहक अकुलाहट और भय से बचिए।*
*चीन से कुछ ख़बरें एक दूसरे विषाणु हांटावायरस-संक्रमण की आ रही हैं। एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है और तीस से अधिक संक्रमण से ग्रस्त पाये गये हैं। सोशल मीडिया पर इस ख़बर से --- ज़ाहिर है , परेशान लोगों के अकुलाहट और बेचैनी बढ़नी ही थी।*
*हांटावायरस कोई एक विषाणु नहीं है , अनेक विषाणुओं का एक समूह है। चूहों को ये विषाणु संक्रमित करते हैं , पर उनमें रोग उत्पन्न नहीं करते। ऐसा विज्ञान का मानना है कि ये विषाणु चूहों की प्रजातियों के साथ ही लाखों सालों से विकसित होते रहे हैं : यह एक क़िस्म का कोइवॉल्यूशन है। एक ऐसा साहचर्य जिसमें दोनों एक-साथ बिना किसी को हानि पहुँचाए रहा करते हैं।*
*किन्तु इन संक्रमित चूहों के मल-मूत्र या लार से सम्पर्क में आने से मनुष्य में ये हांटावायरस पहुँच सकते हैं। शरीर के उनके भीतरी अंगों में इनके कारण दुष्प्रभाव पैदा हो सकते हैं। फेफड़ों व गुर्दों को ये विषाणु अधिक प्रभावित करते हैं : हांटावायरस हेमरेजिक फ़ीवर विथ रीनल सिंड्रोम एवं हांटावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम इन विषाणुओं के दो प्रमुख रोग-प्रारूप हैं। ये बीमारियाँ विरली हैं , किन्तु इनके कारण मरीज़ों की मृत्यु भी होती गयी है।*
*हांटावायरस-रोगों का संक्रमण एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में होना बहुत विरल है। ऐसा न के बराबर देखा गया है। ऐसे में इन विषाणुओं का संक्रमण तभी सम्भव है , जब कोई मनुष्य किसी संक्रमित चूहे के मल , मूत्र या लार को सूँघ कर फेफड़ों में प्रविष्ट करा ले। चूहों के काटने , संक्रमित चूहों के मल-मूत्र-लार से युक्त किसी वस्तु को छूने अथवा ऐसा संक्रमित भोजन खाने से भी इन विषाणु-रोगों का होना पाया गया है।*
*बुख़ार , बदनदर्द , खाँसी , साँस फूलना जैसे लक्षणों वाले इन रोगों के कारण मरीज़ों में ब्लड प्रेशर का गिरना , शॉक और गुर्दों का फ़ेल होना पाया जा सकता है। हांटावायरस हेमरेजिक बुख़ारों की मृत्यु दर तीस प्रतिशत से भी ऊपर पायी जा सकती है।*
*हांटावायरस-सम्बन्धित संक्रमणों की मनुष्य-से-मनुष्य में पहुँचने की आशंका न के बराबर है। इसलिए वर्तमान कठिन समय में चीन में पुष्ट हुए कुछ मामलों के आधार पर यहाँ जनता को घबराये बिना कोरोना-विषाणु-सम्बन्धित पैंडेमिक के लिए अपने रोकथाम के उपायों पर पूरा अमल करते रहना चाहिए......*
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*अफवाहों से बचें : बीएचयू परिवार Whatsapp 8429249326*
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