कविता लिखूँ किस पर
किसके लिए
और क्यों?
किसके लिए
और क्यों?
विषय : समय या सत्य
व्यंग्य या व्यय
या पूर्व निश्चय
जो किया!
व्यंग्य या व्यय
या पूर्व निश्चय
जो किया!
कर्षित कागज़ पर
कुछ कलियों के डर-
भय ज्यों का त्यों!
भय ज्यों का त्यों!
भयंकर
भौरों ने सम्पूर्ण रस का पान कर
खो दिया!
भौरों ने सम्पूर्ण रस का पान कर
खो दिया!
भूख की मर्यादा
खुद की वादा
तो लिया!
खुद की वादा
तो लिया!
प्रतिज्ञा स्त्रीत्व का
एक कवयित्रीत्व का
धो हिया!
एक कवयित्रीत्व का
धो हिया!
धैर्य धारण से
परमपुरुषार्थ
को जिया!
परमपुरुषार्थ
को जिया!
सर्वशक्तिमान
सृष्टि-पहचान
रो धिया!
सृष्टि-पहचान
रो धिया!
आँसू पीती
महापीड़ा का आज भी
समय और समाज की!
महापीड़ा का आज भी
समय और समाज की!
क्या इस पर लिखूँ?
जिसे देख चीखूँ
चिरंजीवी हो!
जिसे देख चीखूँ
चिरंजीवी हो!
यह कवि से नहीं होगा
यह सदैव दुःख ही देगा
बुद्धिजीवी को!!
यह सदैव दुःख ही देगा
बुद्धिजीवी को!!
-गोलेन्द्र पटेल
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