सुप्रसिद्ध युवा कवि गोलेन्द्र पटेल की दस कविताएँ :-
1).
प्रेम में पड़ीं लड़कियाँ
माफ़ करना
मैंने नहीं मेरे गुरु देखे हैं
कि (पढ़ी-लिखी)
प्रेम में पड़ी हुईं लड़कियाँ
जन्मदिन पर
प्रेमी का पाँव छूती हैं!
2).
पिछलग्गू
वे कैसे दिन थे
जब लोग पहले परिणय करते थे
फिर प्रेम
अब तो
प्रेम परिणय का पिछलग्गू है!
3).
काली प्रेमिकाएँ
जंगल, पहाड़, समुद्र और कोयले में
जो पाई जाती हैं काली प्रेमिकाएँ
वे सिर्फ़ वासना की पूर्ति भर हैं
उनकी नज़र में
जो उन्हें प्रेम कर के छोड़ देते हैं!
4).
ईश्वर नहीं नींद चाहिए
उनके व्यर्थ गए गुनाहों के बारे में
जब सोचती हूँ मैं
स्पर्शशून्य रस उमड़ता है भीतर
आँखें बोलती हैं
ईश्वर नहीं नींद चाहिए!
5).
संस्मरण
मुहब्बत वीणा की तरह
मेरे हृदय में थी
तुम तो साधक थे!
अब संगीत में सना संस्मरण
मेरे दिल व दिमाग का गायक है!
(रचना : 16-12-2022)
6).
प्यार का इंतज़ार
नहीं हूँ किसी का भी भक्त मैं
पर प्रभु तुम्हारे मंदिर की सीढियों पर
करती हूँ अपने प्यार का इंतज़ार
वैसे ही
जैसे पृथ्वी करती है
वसंत की प्रतीक्षा!
(रचना :15-12-2022)
7).
चिंतित समुद्र
उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की
यात्रा से लौटे हैं प्रभु!
उनकी थकान की मात्रा
मीडिया में मुस्कुरा रही है कि
रेगिस्तान में
जब उठती हैं लहरें
समुद्र चिंतित होता है
पर नदी प्रसन्न होती है
क्योंकि वह प्यास बुझाती है!
(रचना : 15-12-2022)
8).
मुक्ति के मार्ग
मुक्ति के लिए
न दर्शन के
न कविता के मार्ग चुने मैंने
प्रभु!
तुमने मेरी निष्ठा अनदेखी की
मैंने तुम्हारी मूर्ति में अपनी विष्ठा पोत दी
और तुम प्रकट हो गये!
(रचना : 15-12-2022)
9).
ईश्वर की भाषा में नहीं
सौंदर्य के साधक शब्दों को तब तक रगड़ते हैं
जब तक कि रंग हथेलियों में हथियार न बन जाए
और गंध हवा में गोली
पर, प्रभु!
धूप का धनुष धारा की दिशा में ढूँढ़ रही है
नई सदी की नदी
जहाँ बदी के विरुद्ध पतवार की प्रार्थना सुनकर
बादल नाव में उतर रहे हैं और
तट पर सुनाई दे रही है
कि जल ने मछलियों की हत्या की
उनकी चीख चिनगारी में बदल चुकी है
वे रेत की रोशनी हैं
मगर मौसम मौन है
मुर्दा हो चुका है मुल्क का मल्लाह
हिलोरें हवन कर रही हैं
तुम्हारे लिए, प्रभु!
उनकी आत्माओं की शांति के इस यज्ञ से धुआँ नहीं,
अमर, अपराजेय और अप्रतिहत गूँज उठ रही है
जो ईश्वर की भाषा में नहीं
इनसान की भाषा में कविता है, प्रभु!
प्रभु! तुम्हारी सत्ता के लिए सतह पर
मछलियों का सुलगता सवाल है
कि नदी का क्या हाल है!
10).
पाँव से फूटी प्रार्थना
अब आस्था की छाँव में ईश्वर बड़े होते हैं
और आदमी छोटे
ऐसे में सत्य की समाधि पर
मैं हूँ
सूर्याभिमुखी अभिव्यक्ति
मेरी आँखों से आग की बूँदें
गिरीं जब धरती पर
तब पीड़ा की पौध में
आत्ममैथुन और आत्ममंथन के फूल खिले
पर प्रभु!
जो तुमने सुनी प्रार्थना
वह मेरे कंठ से नहीं
पाँव से फूटी थी!
(©गोलेन्द्र पटेल / रचना : 15-12-2022)
संक्षिप्त परिचय :-
नाम : गोलेन्द्र पटेल
उपनाम/उपाधि :- 'गोलेंद्र ज्ञान' , 'युवा किसान कवि', 'हिंदी कविता का गोल्डेनबॉय', 'काशी में हिंदी का हीरा', 'आँसू के आशुकवि', 'आर्द्रता की आँच के कवि', 'अग्निधर्मा कवि', 'निराशा में निराकरण के कवि', 'दूसरे धूमिल', 'काव्यानुप्रासाधिराज', 'रूपकराज', 'ऋषि कवि', 'कोरोजयी कवि', 'आलोचना के कवि' एवं 'दिव्यांगसेवी'।
जन्म : 5 अगस्त, 1999 ई.
जन्मस्थान : खजूरगाँव, साहुपुरी, चंदौली, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : बी.ए. (हिंदी प्रतिष्ठा) व एम.ए. (अध्ययनरत), बी.एच.यू.।
भाषा : हिंदी व भोजपुरी।
विधा : कविता, नवगीत, कहानी, निबंध, नाटक, उपन्यास व आलोचना।
माता : उत्तम देवी
पिता : नन्दलाल
पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन :-
कविताएँ और आलेख - 'प्राची', 'बहुमत', 'आजकल', 'व्यंग्य कथा', 'साखी', 'वागर्थ', 'काव्य प्रहर', 'प्रेरणा अंशु', 'नव निकष', 'सद्भावना', 'जनसंदेश टाइम्स', 'विजय दर्पण टाइम्स', 'रणभेरी', 'पदचिह्न', 'अग्निधर्मा', 'नेशनल एक्सप्रेस', 'अमर उजाला', 'पुरवाई', 'सुवासित' ,'गौरवशाली भारत' ,'सत्राची' ,'रेवान्त' ,'साहित्य बीकानेर' ,'उदिता' ,'विश्व गाथा' , 'कविता-कानन उ.प्र.' , 'रचनावली', 'जन-आकांक्षा', 'समकालीन त्रिवेणी', 'पाखी', 'सबलोग', 'रचना उत्सव', 'आईडियासिटी', 'नव किरण', 'मानस', 'विश्वरंग संवाद', 'पूर्वांगन' आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित।
विशेष : कोरोनाकालीन कविताओं का संचयन "तिमिर में ज्योति जैसे" (सं. प्रो. अरुण होता) में मेरी दो कविताएँ हैं और "कविता में किसान" (सं. नीरज कुमार मिश्र एवं अमरजीत कौंके) में कविता।
ब्लॉग्स, वेबसाइट और ई-पत्रिकाओं में प्रकाशन :-
गूगल के 100+ पॉपुलर साइट्स पर - 'कविता कोश' , 'गद्य कोश', 'हिन्दी कविता', 'साहित्य कुञ्ज', 'साहित्यिकी', 'जनता की आवाज़', 'पोषम पा', 'अपनी माटी', 'द लल्लनटॉप', 'अमर उजाला', 'समकालीन जनमत', 'लोकसाक्ष्य', 'अद्यतन कालक्रम', 'द साहित्यग्राम', 'लोकमंच', 'साहित्य रचना ई-पत्रिका', 'राष्ट्र चेतना पत्रिका', 'डुगडुगी', 'साहित्य सार', 'हस्तक्षेप', 'जन ज्वार', 'जखीरा डॉट कॉम', 'संवेदन स्पर्श - अभिप्राय', 'मीडिया स्वराज', 'अक्षरङ्ग', 'जानकी पुल', 'द पुरवाई', 'उम्मीदें', 'बोलती जिंदगी', 'फ्यूजबल्ब्स', 'गढ़निनाद', 'कविता बहार', 'हमारा मोर्चा', 'इंद्रधनुष जर्नल' , 'साहित्य सिनेमा सेतु' , 'साहित्य सारथी' , 'लोकल ख़बर (गाँव-गाँव शहर-शहर ,झारखंड)', 'भड़ास', 'कृषि जागरण' ,'इंडिया ग्राउंड रिपोर्ट', 'सबलोग पत्रिका', 'वागर्थ', 'अमर उजाला', 'रणभेरी', 'हिंदुस्तान', 'दैनिक जागरण', 'परिवर्तन' इत्यादि एवं कुछ लोगों के व्यक्तिगत साहित्यिक ब्लॉग्स पर कविताएँ प्रकाशित हैं।
लम्बी कविता : तुम्हारी संतानें सुखी रहें सदैव
प्रसारण : 'राजस्थानी रेडियो', 'द लल्लनटॉप' एवं अन्य यूट्यूब चैनल पर (पाठक : स्वयं संस्थापक)
अनुवाद : नेपाली में कविता अनूदित
काव्यपाठ : अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय काव्यगोष्ठियों में कविता पाठ।
सम्मान : अंतरराष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय की ओर से "प्रथम सुब्रह्मण्यम भारती युवा कविता सम्मान - 2021" , "रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2022" और अनेकानेक साहित्यिक संस्थाओं से प्रेरणा प्रशस्तिपत्र प्राप्त हुए हैं।
मॉडरेटर : 'गोलेन्द्र ज्ञान' , 'ई-पत्र' एवं 'कोरोजीवी कविता' ब्लॉग के मॉडरेटर और 'दिव्यांग सेवा संस्थान गोलेन्द्र ज्ञान' के संस्थापक हैं।
संपर्क :
डाक पता - ग्राम-खजूरगाँव, पोस्ट-साहुपुरी, जिला-चंदौली, उत्तर प्रदेश, भारत।
पिन कोड : 221009
व्हाट्सएप नं. : 8429249326
ईमेल : corojivi@gmail.com
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--Golendra Patel
BHU , Varanasi , Uttar Pradesh , India
धन्यवाद!
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